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Mini Jungle In Udaipur: उदयपुर में पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए एक अनूठा कदम उठाया गया है। जापानी मियावाकी तकनीक की मदद से यहां पर मिनी जंगल बनाए जा रहे हैं।

Mini Jungle In Udaipur: यूं तो शहरों में विकास होता रहता है लेकिन इस विकास के बीच मानव जाति प्रकृति की रक्षा करना लगभग भूल जाती है। जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती जा रही है मानव शहरों का विकास जंगलों तक करने लगे हैं। जिससे कई पेड़ काटे जाते हैं। इसका खामियाजा भी मानव जाति को ही भुगतना पड़ता है। बढ़ता प्रदूषण, भीषण गर्मी यह सब इसी के ही नतीजे हैं। लेकिन उदयपुर के मोहता पार्क में एक अनूठा कदम उठाया गया है। यहां पर मियावाकी तकनीक का इस्तेमाल करके छोटे जंगल विकसित किया जा रहे हैं। आईए जानते हैं क्या है यह तकनीक। 

छोटी जगह पर बना रहे हैं घने जंगल 

उदयपुर में इस जापानी तकनीक का इस्तेमाल करके हरियाली को बढ़ाया जा रहा है। दरअसल जमीन के छोटे-छोटे टुकड़ों पर घने समूह में देसी पौधे लगाए जाते हैं। पारंपरिक जंगलों को बढ़ने में कई दशक लग जाते हैं लेकिन मियावाकी जंगल सिर्फ दो से तीन सालों के भीतर ही घना हो जाता है। इन छोटे जंगलों को ऑक्सीजन पॉकेट के रूप में जाना जाता है। 

मोहता पार्क में उठाया गया यह कदम 

यह पार्क उदयपुर शहर के केंद्र में स्थित है। अब यह पार्क देसी पौधों के साथ मिलकर एक घना और जीवंत जंगल बन गया है। शहर के लोग ताजी हवा में सांस लेने और प्रकृति से फिर से जुड़ने के लिए इस पार्क में आते हैं। 

क्या है मियावाकी तकनीक 

यह तकनीक जापान से आई है। इस तकनीक में शहरी या छोटे स्थान में देसी प्रजातियों के मिश्रण को एक साथ रोपा जाता है। इसके बाद पौधों में तीव्र विकास होता है और सूक्ष्म जलवायु का निर्माण भी होता है। पारंपरिक तरीके के मुकाबला इस विधि के अनुसार पौधे 10 गुना अधिक तेजी से बढ़ते हैं। दो-तीन वर्षों की देखभाल के बाद जंगल आत्मनिर्भर हो जाते हैं।

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