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Law To Stop Suicide: राजस्थान में लगातार कोचिंगों के स्टूडेंट के सुसाइड करने के मामले लगातार देखने सुनने को मिल रहे हैं, जो देश के लिए एक बहुत गम्भीर समस्या बन गई है। सुसाइड केस कम करने के लिए सरकार जल्द ही इस पर कानून बनाने वाली है।

Law To Stop Suicide in Kota: देश में सुसाइड के मामले में राजस्थान का आकड़ो में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है, 2020 की रिपोर्ट के आधार पर वैसे तो राजस्थान 22वें नंबर पर आया, जिसमें इसकी सुसाइड दर 7.2 रही थी, लेकिन अभी 2024 25 की बात करें तो राजस्थान में इसका प्रतिशत बढ़ा है, हांलाकि कोरोना के बाद से अभी तक इस पर कोई गणना नहीं की गई।  

कोर्ट में मामले की सुनवाई का समय 

राजस्थान के कोचिंग सेंटर के बच्चों के सुसाइड केस को रोकने के लिए को राजस्थान सरकार द्वारा एक कानून बनाया जा रहा है। इस गंभीर समस्या को लेकर सरकार ने 31 जनवरी से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में सुसाइड को  रोकने के विषय के संबंध में एक कानून बिल लेकर आएगी। इस कानून बिल को लेकर सूचना सरकार की ओर से सोमवार को हाईकोर्ट में दी गई। जिसमें सरकार के जवाब को रिकॉर्ड पर लेते हुए, कोर्ट ने मामले की सुनवाई 10 फरवरी को निर्धारित की हैं। 

कोर्ट में सुनवाई के दौरान ही महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने राज्य सरकार कोचिंग सेंटर्स के संचालन के लिए कानून बनाए जाने के बारे में बताया। इस कानून बिल को लेकर आगे आने वाले विधानसभा सत्र में इसको पारित कि दिया जाएगा। इस कानून बिल पर सरकार की ओर से हाईकोर्ट में 33 जिलों में इसकी रिपोर्ट पेश की गई। 

न्यायमित्र वरिष्ठ वकील सुधीर गुप्ता ने कोर्ट में ये बात रखी की जब तक ये कानून ना जाए तब तक केंद्र सरकार द्वारा बनाई गाइडलाइन की पालना की जाए और उनके अंतर्गत तय मानकों के अनुसार कोचिंग सेंटर्स का रजिस्ट्रेशन किया जाए। 

कोचिंग सेंटर्स को लेकर प्रमुख गाइडलाइन 

1.केन्द्र सरकार की इस गाइडलाइन में कोई भी कोचिंग सेंटर जॉब सिक्योरिटी और सैलरी की गारंटी नहीं दे सकता हैं। 

2.टॉपर्स को लेकर कोचिंग सेंटर्स को इस बारें में पूरी तरह से अवगत करना होगा कि जिस टॉपर को वो कोचिंग के विज्ञापन  के लिए काम में ले रहें हैं, वो टॉपर  कौनसे  कोर्स में अपना दाखिला लिया था। उसके साथ ही ये भी बताना होगा कि वो कितने समय के लिए और कब तक जुड़ा रहेगा है। 

3.कोचिंग सेंटर्स बिना लिखित कंसेंट के टॉपर्स का नाम, फोटो और टेस्टिमोनियल इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। अगर कोई कोचिंग सेंटर किसी टॉपर का नाम अपने प्रमोशन के लिए इस्तेमाल करना चाहता है, तो उसे उम्मीदवार के सिलेक्शन के बाद उसकी लिखित रूप से अनुमति लेनी होगी। 

4.कोचिंग सेंटर्स को इसके बारे में भी बताना होगा की AICTE, UGC जैसी किसी संस्थानों से मान्यता प्राप्त किए हुए है  या नहीं।

5.कोचिंग सेंटर्स अपने कोर्सेज की समयसीमा, व्यवस्था, सिलेक्शन रेट, फीस की जानकारी, परीक्षा रैंकिंग और ये भी बताना होगा कि उन्होनें फीस वापस करने की  पॉलिसी को लेकर कोई झूठे वादे तो नहीं कर रखे हैं। 

6. सभी कोचिंग सेंटर्स को अपने कोर्सेज से जुड़ी सभी आवश्यक जानकारी इन कोर्सेज में दाखिला लेने वाले  स्टूडेंट्स को पूरे तरीके से बतानी होगी। 

7.कई लोगों को इस गाइडलाइंस को लेकर ये संदेह हैं बना हुआ है कि ये गाइडलाइंस किन-किन क्षेत्रों के लिए है, तो उनको बता दे की ये गाईडलाइंस  केवल कोचिंग सेंटर्स पर ही लागू होगी, काउंसलिंग, स्पोर्ट्स और क्रिएटिव एक्टिविटीज के क्षेत्र व अन्य किसी ओर क्षेत्र पर नहीं हैं। 

इन कोचिंग सेंटर्स को लेकर हाल ही में कुछ ओर गाइडलाइन निकाली गई है, जिसमें पहली गाइडलाइन की बातों को मध्य नजर रखते हुए कुछ ओर बातों को इन गाइडलाइनों में शामिल किया गया है, तो आइए जानते है,ये नई गाइडलाइनों के बारें में की इनमें ओर क्या- क्या शामिल किया गया  हैं।

नई गाईडलाइन:  

कोचिंग सेंटर्स को लेकर सबसे पहली नई गाइडलाइंस ये निकाली गई है, कि कोई भी कोचिंग अच्छे नंबर और रैंक की गारंटी नहीं दे सकता। अगर ऐसा करता हुआ पाया जाता है तो इस पर सख्त कार्रवाई की जाएंगी।

इसके बाद इस गाइलाइंस में इस पर जोर दिया गया है कि इनरोलमेंट सेकेंड्री स्कूल एग्जाम के बाद ही किया जाएगा।इससे पहले नहीं।

कोचिंग के बच्चों के मानसिक  तनाव पर  विशेष ध्यान दें और  बच्चों पर सिलेक्सन  का प्रेशर नहीं बनाया जाना चाहिए। 

कोचिंग में पढ़ाए जाने वाले  कोर्स की ट्यूशन शुल्क निश्चित की जानी चाहिए, बाद में उसे कोर्स के  बीच में  नहीं बढ़ाया जाना चाहिए और इसके साथ रसीद भी देनी होगी।

जिस तरह सुसाइड के केस दिन- प्रतिदिन बढ़ती जी रही है तो इसको मध्य नजर रखते हुए ये गाइडलाइंस निकाली गई है, कि 16 साल से कम उम्र के बच्चों को इनरोलमेंट नहीं करवाया जाएगा।

कोचिंग में पढ़ाने वाले ट्यूटर्स ग्रेजुएट से कम योग्यता वाले नहीं होंने चाहिए। उनके पास भी किसी संस्थान से मान्यता प्राप्त डिग्री होना चाहिए। 

 कोचिंग के सिलसिले में घर से दूर हॉस्टल में जो बच्चें रहने आ रहें है, उनको हॉस्टल की सुविधा और फीस की पूरी जानकारी देनी होगीं।

कोचिंग कोर्स को अगर कोई अभ्यार्थी  समय से पहले छोड़ता है, तो उस  पर कोचिंग को10 दिन की बची फीस वापस करनी होगी स्टूडेंट हॉस्टल में रह रहा हो तो हॉस्टल फीस मेस फीस भी लौटानी होगी।

गाइडलाइंस फॉलो न करने पर कोचिंग सेंटर्स पर 1 लाख तक का जुर्माना लगाया जाएगा।

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