Laxmangarh Fort: राजस्थान अपनी अनोखी परंपराओं और राजसी महलों और किलों के लिए काफी प्रसिद्ध है। आज के इस लेख में हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसे ही किले की जो 300 फीट की ऊंची पहाड़ी पर आज भी गर्व से खड़ा है। हम बात कर रहे हैं सीकर जिले से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लक्ष्मणगढ़ किले की।
क्या है इस किले का इतिहास
इस किले को 19वीं शताब्दी में राव राजा लक्ष्मण सिंह द्वारा बनवाया गया था। इसके किले का निर्माण 1805 में शुरू हुआ था और मात्र 2 सालों में ही पूरा हो गया था। इस किले में इस्तेमाल किए गए पत्थर इतने मजबूत हैं कि आज भी छेनी और हथौड़ी से इन्हें तोड़ा नहीं जा सकता।
इस किले में आगंतुकों का स्वागत सिंह द्वार द्वारा किया जाता है। लेकिन सिंह द्वारा तक पहुंचाने के लिए आगंतुकों को पत्थर से बनी हुई 23 सीढ़ियां चढ़नी होती है। सिर्फ बाहर से ही नहीं बल्कि अंदर से भी यह किला काफी भव्य है। इस किले में 23 वाच टावर, 25 फीट गहरे पानी के टैंक और सुरंगे बनी हुई है। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि युद्ध में इस्तेमाल की जाने वाली तोपें भी यहां पर आज भी मौजूद है।
क्यों बनाया गया था यह किला
इस किले को बनाने के पीछे एक काफी रोचक तथ्य है। हालांकि यह किला काफी भव्य है लेकिन इसके बावजूद भी इसका इस्तेमाल कभी भी शाही निवास के तौर पर नहीं किया गया। इस किले को पूर्ण रूप से रक्षात्मक उद्देश्यों के लिए बनाया गया था। यह किला 300 फीट ऊंची पहाड़ी पर बना है, इस वजह से वहां से आसपास के क्षेत्र को बड़ी आसानी और स्पष्टता से देखा जा सकता था।
हालांकि यह किला हमेशा खतरों से घिरा हुआ रहता था। 1882 में इस किले पर खेतड़ी, फतेहपुर, और मांडव के शासकों ने कई बार हमला किया। जवाब में राजा ने बहादुर योद्धाओं जैसे डुंगजी और जवाहर जी की मदद ली। आज भी इस किले की दीवारों पर गोलियों के निशान देखे जा सकते हैं।
क्या है इस किले की खास बात
इस किले में कई सुरंग हैं। इन सुरंगों का इस्तेमाल शाही परिवार और सैनिकों द्वारा हमले के दौरान भगाने के रूप में किया जाता था। साथ ही इस किले में छह विशाल भूमिगत टैंक भी हैं, जो 25 फीट गहरे हैं और इनका इस्तेमाल घेराबंदी के समय में पानी जमा करने के लिए किया जाता था।
हालांकि भारत की आजादी के बाद राज परिवारों का राज लगभग खत्म हो गया। इसके बाद राव राजा कल्याण सिंह ने आर्थिक तंगी के कारण अपनी सभी संपत्तियों को बेचना शुरू कर दिया था। 1960 में इस किले को झुनझुनवाला के कल्याण सिंह ने खरीद लिया था और तभी से इस किले में लोगों की पहुंच लगभग प्रतिबंधित कर दी गई है।
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