Shahi Gulab Liquor: शराब के शौकीन सिर्फ आज के लोग नहीं, बल्कि सदियों पुराने लोग भी होते थे। देश के राजा-महाराजा भी दारू के शौकी हुआ करते थे। राजाओं के लिए कोई मामूली नहीं बल्कि शाही शराब का इंतजाम किया जाता था। आज इस आर्टिकल में हम बात करेंगे राजस्थान में हैरिटेज शराब की जिसे महारानी महनसर शाही गुलाब के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन राज्य के कई इलाकों में यह बाप-दादा की शराब के नाम से भी प्रसिद्ध है।
शराब का इतिहास
शेखावटी राज्य में 18वीं शताब्दी के समय महनसर राजघराने के राजा करणी सिंहन जड़ी-बूटियों की मदद से यह शाही शराब तैयार कराई थी। 1768 में बने महनसर किले में लोग अक्सर शराब पिया करते थे। उस समय शराब को रजवाड़ी दारू के नाम से जाना जाता था। जिसके बाद किले में अक्सर यह शराब पी जाती थी, इसलिए इसका नाम बदलकर ‘महारानी महनसर शाही गुलाब’ रख दिया गया।
क्यों कहा जाता है शाही गुलाब
शराब का नाम शाही गुलाब इसलिए रखा गया, क्योंकि इसे गुलाब की ताजा पंखुड़ियों से तैयार किया जाता है, साथ ही इसका रंग भी गुलाबी ही होता है। इसके अलावा इसे बनाने के लिए कई प्रकार के मसाले, ड्राई फ्रूट्स और 150 से अधिक सिक्रेट रेसिपी के डिस्टलाइजेशन की प्रक्रिया से मिलाकर बनाया जाता है।
हैरिटेज शराब में इस्तेमाल होता है प्रीमियम गुलाब
महारानी महनसर शराब पूरी दुनिया में फेमस है, क्योंकि यह एक ग्रेन बेस्ट शराब है। इसको तैयार करने में प्रीमियम गुलाब का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे अजमेर के पुष्कर से लाया जाता है। सुबह गुलाब को तोड़कर शाम तक मेंचुरेशन और फ़र्मेंटेशन की प्रक्रिया की मदद से तैयार किया जाता है। इसको बनने में 5 से 15 दिन का समय लगता है। इस दौरान कई प्रकार के मसालों को मिक्स किया जाता है।
कितने की आती है यह शाही शराब
हैरिटेज शराब होने के कारण भी इस शराब का कीमत ज्यादा नहीं है। बता दें कि राजस्थान में 750ml तक की एक बोटल करीब 1100 रुपए में मिल जाएंगी। बाकी प्रदेशों में इसकी किमत थोड़ी ज्यादा होगी। इसके पीछे का कारण राजस्थान सरकार द्वारा दी गई सब्सिडी है।