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Bikaner Gangaur: राजस्थान का बीकानेर अपनी गणगौर मूर्तियों के लिए काफी मशहूर है। यहां की गणगौर मूर्तियों की देश-विदेश में काफी मांग है। आईए जानते हैं क्या है यहां की खास बात।

Bikaner Gangaur: राजस्थान का बीकानेर लकड़ी की गणगौर और ईसर की मूर्तियों को खूबसूरती से तराशने की कला की वजह से मशहूर है। अपनी उत्कृष्ट कारीगरी के लिए प्रसिद्ध यह मूर्तियां दिव्यता और परंपरा को दर्शाती है। बीकानेर का श्लोक कौशल हर मूर्ति की सुंदरता कोई इस तरह से निखारता है कि जैसे यें मूर्तियां अभी बोल उठेंगी।

नक्काशी और चित्रकारी का बेजोड़ नमूना 

बीकानेर के कारीगर शानदार काशी और चित्रकार के जरिए शिव और पार्वती के दिव्य मिलन को दर्शाने वाली गणगौर मूर्ति में जान फूंक देते हैं।  प्रत्येक गणगौर को काफी बारीकी से बनाया जाता है। इसी वजह से देश-विदेश में रहने वाले प्रवासी राजस्थानियों के बीच यहां की गणगौर मूर्तियां काफी लोकप्रिय है।

गुणवत्ता पर निर्भर करता है मूल्य 

गणगौर की मूर्तियों की कीमत लकड़ी की गुणवत्ता और शिल्प कौशल पर आधारित होती हैं। कोरे रोहिडा या किड से बनी साधारण मूर्ति ₹3000 से शुरू होती हैं वहीं अगर प्रीमियम गणगौर मूर्ति लेनी है तो वह सागौन की लकड़ी से बनाई जाती है जो ₹500000 तक की कीमत पर मिलती है। सागौन की लकड़ी सुंदर के साथ साथ  टिकाऊ भी होती है क्योंकि इसका रंग 10 से 15 साल तक सही रहता है।

गणगौर मूर्तियों की बढ़ती मांग 

बीकानेर के गणगौर की मूर्तियों की मांग हर साल बढ़ रही है। त्योहारों में मांग को पूरा करने के लिए कारीगर महीनों पहले से ही तैयारी शुरू कर देते हैं। गणगौर का त्योहार 20 दिनों तक चलता है। छोटी मूर्तियों को बनाने में 10 से 15 दिन लगते हैं वही बड़े गणगौर को बनाने में तीन से चार महीने लग जाते हैं।

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