Nilkantheshwar Mahadev Temple: राजस्थान के टोंक जिलों के दूनी गांव में एक अनोखा शिव मंदिर स्थित है, जो अपनी अद्भुत विशेषताओं के लिए जाना जाता है। यह मंदिर साल के लगभग छह महीने दूनी तालाब में डूबा रहता है, और बाकी के छह महीने पानी के बाहर होता है। यह अनोखी विशेषता इस मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष आस्था का केंद्र बनाती है।
प्राचीन शिवलिंग और मान्यताएँ
मंदिर के गर्भगृह में एक प्राचीन शिवलिंग है, जो यहाँ आने वाले भक्तों की श्रद्धा का केंद्र है। स्थानीय मान्यता के अनुसार, इंद्रदेव हर वर्ष बारिश के माध्यम से इस शिव मंदिर को सावन से पहले ही जलमग्न कर देते हैं, जिससे भगवान शिव का जलाभिषेक स्वतः हो जाता है। लोग मानते हैं कि जब तालाब भरता है, तब भगवान भोलेनाथ इस मंदिर में ही निवास करते हैं।
यह शिव मंदिर अद्भुत और प्राचीन है। यहाँ शिव परिवार के दोनों ओर दो नंदी हैं, जो इस मंदिर की विशेषता को और बढ़ाते हैं। हालांकि इस मंदिर के निर्माण का सही समय और कारण ज्ञात नहीं है, लेकिन शिव परिवार की उपस्थिति से यह स्पष्ट होता है कि यह मंदिर बहुत पुराना है।
यह मंदिर जयपुर से 140 किलोमीटर, कोटा से 113 किलोमीटर और टोंक से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह नेशनल हाईवे-52 से तीन किलोमीटर अंदर है। यहाँ पहुँचने के लिए श्रद्धालुओं को तैरकर जाना पड़ता है, क्योंकि मंदिर चारों ओर पानी से घिरा होता है। मान्यता है कि जो लोग डुबकी लगाकर इस मंदिर में शिव को नमन करते हैं, उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं। लेकिन यह काम सरल नहीं है, क्योंकि केवल कुशल तैराक ही यहाँ पहुँच सकते हैं।
मंदिर की स्थिरता
इस मंदिर की एक और खास बात यह है कि इसे विशेष पत्थरों से तराशकर बनाया गया है। छह महीने तक जलमग्न रहने के बावजूद, मंदिर का एक भी पत्थर नहीं हिला है। ऐसा प्रतीत होता है कि इसके निर्माणकर्ताओं ने इस बात का ध्यान रखा था कि भविष्य में भी यहाँ जलाभिषेक होता रहे, भले ही कोई भी व्यक्ति न आए।