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राजस्थान के भंवाल माता के मंदिर को एक डाकू ने बनाया था, आज इस मंदिर में दूर दूर से लोग आते हैं और माता पर प्रसाद के रूप में शराब अर्पित करते हैं।

Bhanwal mata mandir : सनातन धर्म में हमेशा से देवी देवताओं को भोग चढ़ाया जाता रहा है, जिसमें लड्डू, खीर, मेवा, मिठाई और फूल आदि शामिल होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि राजस्थान में एक ऐसा रहस्यमई मंदिर है। जहां माता को भोग के रूप में मिठाई फल-फूल नहीं बल्कि शराब अर्पित की जाती है। 

आश्चर्य की बात है कि शराब जैसे ही प्याले में जाती है, वैसे ही गायब हो जाती है। इस चमत्कारी मंदिर की ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त इस मंदिर में जाकर मन्नत मांगते हैं। वो जरूर पूरी होती है। इस मंदिर की खास बात यह है कि मंदिर के पुजारी पहले मदिरा को चढ़ाते हैं जिसके बाद माता मदिरा का सेवन करती हैं। यह अनोखा मंदिर नागौर जिले के भंवाल गांव में स्थित है। इस मंदिर की देवी को भंवाल माता के नाम से जाना जाता है। काली माता का स्वरूप भंवाल माता को माना जाता है। खास बात यह है कि देवी को ढाई प्याला ही शराब चढ़ाई जाती है।

चांदी के प्याले में चढ़ती है शराब

भंवाल माता को चांदी के प्याले में शराब चढ़ाई जाती है। इस मंदिर के पुजारी आंख बंद कर चांदी के प्याले में शराब भरकर देवी मां को प्रसाद ग्रहण करने का अनुरोध करते हैं। कुछ ही मिनटों में शराब प्याले से अपने आप ही गायब हो जाती है। शराब चढ़ाने की प्रक्रिया को तीन बार किया जाता है। कहा जाता है कि तीसरी बार पहले प्रसाद के रूप में आधा भरा रह जाता है। 

जानें प्रसाद चढ़ाने के नियम 

मंदिर में मदिरा चढ़ाने का नियम भी है। भक्त जितना मदिरा चढ़ाने की मन्नत मांगते हैं। माता को उतना ही प्रसाद चढ़ाना होता है। नवरात्रि के महीने में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ भारी संख्या में पहुंचती हैं। कहा जाता है कि जो भी माता से सच्चे दिल से मुराद मांगते हैं। उनकी मुराद पूरी हो जाती है।

डाकू ने बनवाया था मंदिर

स्थानीय लोग बताते हैं कि डाकुओं के एक समूह को राजा के फौजी ने घेर लिया था। अपनी मौत को आंखों के सामने देख डाकुओं ने मां दुर्गा को याद किया। माता ने अपनी शक्ति से डाकुओं को भेड़ बकरी में बदल दिया। जिससे डाकुओं की जान बच गई। इसके बाद डाकू ने मंदिर का निर्माण करवाया था।

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