Organic Farming: लगातार रासायनिक खेती से किसानों को हो रही परेशानी को देखते हुए कृषि विभाग की ओर से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का कार्य शुरू किया गया है। राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के अंतर्गत इस साल प्रदेश के कई जिलों में इस प्रकार की खेती की शुरुआत की जाएगी। उदयपुर की कुल 2500 हेक्टेयर भूमि में प्राकृतिक खेती करने के लिए 150 गांवों के छह हजार किसानों को चुना गया है। इसके लिए विभाग ने दो से तीन गांवों का क्लस्टर बनाया गया हैं। प्रत्येक क्लस्टर में कुल 125 किसान शामिल होगें।
किसानों को दिया जाएगा प्राकृतिक खेती का ज्ञान
कृषि विस्तार के संयुक्त निदेशक सुधीर वर्मा ने जानकारी दी कि इन सभी गांवों में प्राकृतिक तरीके से मक्का, सोयाबीन, उड़द आदि फसल की खेती की जाएगी। इस प्रकार की खेती से उन्हें किस्म के बीच, बायो फर्टिलाइजर के साथ देसी खाद उपलब्ध हो सकेगा। योजना के तहत हर पंचायत में क्लस्टर समूह सभी किसानों को प्राकृतिक खेती का ज्ञान देगें। साथ ही इसके लाभ के बारें में बताएगें। जानकारी के लिए बता दें कि उदयपुर क्षेत्र का सबसे मुख्य खाद्यान्न फसल है। यहां सालाना डेढ़ लाख हेक्टेयर जमीन पर मक्का पैदा किया जाता है। इस खेती से किसानों को लाभ मिलेगा।
प्राकृतिक खेती से कैसे होगा लाभ
राजस्थान के किसान को खेती करने के लिए बारिश पर निर्भर रहना पड़ता हैं। प्राकृतिक खेती से किसानों को पानी के लिए अब मानसून पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। इसके लिए जल संसाधन विभाग द्वारा सोलर बेस्ट माइक्रो इरीगेशन प्रोजेक्ट के तहत 19 करोड़ रुपए की लागत से खेजड़ी का नाका डैम बनाया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के अतंगर्त सौर ऊर्जा का इस्तेमाल कर पानी को आसानी से पंप किया जा सकेगा। माइक्रो सिंचाई टेक्नीक से ड्रिप व स्प्रिंकलर सिंचाई से फसलों को पानी दिया जा सकेगा। इससे कम पानी में ज्यादा एरिया की भूमि में सिंचाई हो सकेगी।
बूंद-बूंद पानी के इस्तेमाल से हो सकेगी खेती
इस प्रोजेक्ट के माध्यम छह किलोवाट क्षमता का सोलर पंप स्थापित किया जाएगा। खेतों में सिंचाई फव्वारा सिस्टम के माध्यम से हो सकेगी। खेती से दौरान बूंद-बूंद से अधिक भूमि में पानी की सप्लाई की जा सकेगी। इस सुविधा से किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी साथ ही उत्पादनों में भी इजाफा होगा।