Rajasthan Pushkar Mela 2024: राजस्थान में मशहूर पुष्कर मेले का आगाज 2 नवंबर से होने जा रही है और यह 17 नवंबर तक चलने वाला है। शाही राज्य में लगने वाला यह मेला देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी फेमस है। अजमेर शहर से 11 किलोमीटर दूर पुष्कर शहर में होता है, जिसे गुलाब पार्क के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यहां भारी मात्रा में इसकी फूलों की खेती होती है।
इस जगह का वातावरण आध्यात्मिक और शांति प्रदान करने के लिए भी जाना जाता है। इस पुष्कर मेले में सैलानी यहां का इतिहास और संस्कृति विरासत को अच्छे से देख सकते हैं। इस मेले में ऊंटों का महत्व काफी ज्यादा होता है। आइए इसके अनोखे फैक्ट के बारे में हम आपको बताते हैं।
दुनियाभर से मेला देखने आते हैं लोग
पुष्कर मेले का इतिहास करीब 100 साल पुराना है। इसे पुष्कर ऊंट मेले के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू कैलेंडर के हिसाब से यह मेला कार्तिक पूर्णिमा के दिन पुष्कर झील के किनारे लगता है। इस जगह पर ब्रह्मा जी का एक मंदिर भी स्थित है। भारी संख्या में लोग यहां आते हैं। दुनियाभर से आए सैलानी यहां पर ऊंटों की दौड़, स्थानीय हस्तशिल्प और पारंपरिक संगीत का लुत्फ उठाते हैं।
विभिन्न आभूषणों से ऊंटों का होता है श्रृंगार
पुष्कर मेले में ऊंटों को बेहतरीन ढंग से सजाया जाता है। ऊंटों का ब्यूटी कॉन्सर्ट भी रखा जाता है। ये ही नहीं इस मेले में जादूगर, नृतक और गायक भी अपना जलवा बिखेरते हैं। इसमें ऊंटों का सबसे पहला श्रृंगार गले में किया जाता है। इसमें गोरबंद का इस्तेमाल किया जाता है। ऊंटों के गले में चांदी और जरी की कसीदाकारी पट्टियां भी लगाई जाती हैं।
वहीं, उनके पैरों में मणियों से बनी पायजे, नकली मोटी और घुंघरू और नवरिया पहनाई जाती है। नाक और मुंह में नकेल मोरा, मोरी का प्रयोग किया जाता है। ऊंट की गर्दन को सजाने के लिए मणियों की माला, गजरा, टोकरी, घंटी और लाल रंग के डिजाइनर कपड़े पहनाए जाते हैं। इन आभूषणों की कीमत भी काफी महंगी होती है। ऊंट की पीठ पर कूबड़ को सजाने के लिए पड़ची, काठी व जाली का श्रृंगार किया जाता है।