Raj Mandir: जयपुर यूं तो अपने धार्मिक स्थलों, किलों और सांस्कृतिक स्थलों की वजह से मशहूर है। लेकिन एक ऐसी भी जगह है जो अगर पर्यटकों ने नहीं देखी तो मतलब जयपुर नहीं देखा। हम बात कर रहे हैं राज मंदिर की। नाम पढ़ने के बाद आपको लग रहा होगा कि यह एक मंदिर है। लेकिन ऐसा नहीं है। वास्तव में यह एक सिनेमा हॉल है जो आधुनिक मल्टीप्लेक्स के साथ प्रतिस्पर्धा करते हुए भी एक अलग ही आकर्षण बनाए हुए है। आईए जानते इसके बारे में और बातें।
राज मंदिर का इतिहास
जयपुर के प्रसिद्ध मिर्जा स्माइल रोड पर व्यस्त पंच बत्ती चौराहे के पास 1966 में स्थापित हुआ यह सिनेमा हॉल दूरदर्शी योजना का प्रमाण है। यह भूरामल सुराणा का आईडिया था। इसके नींव उस वक्त के मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया ने रखी थी और सिनेमा का उद्घाटन 1 जून 1976 को मुख्यमंत्री हरदेव जोशी ने किया था।
यहां की खास बात
यह सिनेमा हॉल 1000 से अधिक लोगों के बैठने की क्षमता रखता है। खास बात यह है कि यह सिनेमा हॉल आजादी के दो दशक बाद ही बन चुका था। यहां का वेटिंग एरिया काफी विशाल और भव्य है। ऑनलाइन टिकट बुकिंग और मल्टीप्लेक्स के आने से पहले राज मंदिर एक बेजोड़ सिनेमाई अनुभव का एकमात्र जरिया था। यहां पर पहली फिल्म 'चरस' दिखाई गई थी। कहा जाता था कि फिल्में बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो जाती थी उसके बाद भी राज मंदिर के शो में लंबी कतारें लगी रहती थी।
टिकट प्राइस
राज मंदिर में चार अलग-अलग बैठने की जगह हैं। लगभग ₹400 प्रति सीट की कीमत पर आपको प्रीमियम टिकट मिल जाएगा। वही डायमंड का टिकट आपको ₹300 प्रति सीट पर उपलब्ध होगा। इसी के साथ एमराल्ड का टिकट ₹170 प्रति सीट है। वही रूबी का टिकट ₹110 प्रति सीट पर उपलब्ध है। हालांकि टिकट की कीमतों में उतार चढ़ाव होता रहता है खासकर जब कोई बड़ी फिल्म हिट बन जाती है। यह सिनेमा हॉल एक सांस्कृतिक प्रतीक है जो जयपुर की शान कहलाता है। अगर आप कभी जयपुर जाएं तो एक बार अविस्मरणीय अनुभव को जरुर महसूस करना।