Rajasthan Farmer News: प्रदेश के किसानों को उनकी फसलों का सही दाम नहीं मिल रहा है। क्योंकि अगर सरकार MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर फसल खरीदती है, तो उसमें कईं प्रकार की अव्यवस्थाएं हैं। जिसके कारण उन्हें काफी घाटा हुआ है। लेकिन सरकार MSP पर फसलों को खरीदना चाहती है जिससे किसानों को फसलों का सही रेट मिले। माना जा रहा है कि इस बार किसानों को कुल 8821 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
प्रदेश में किसानों की हालत ज्यादा खराब हो चुकी है। राजस्थान में मूंगफली, मूंग और सोयाबीन की खरीद के लिए जितने का लक्ष्य तय हुआ था वह 50 प्रतिशत भी पूरा नहीं हो सका है, जिसके कारण किसानों को अपनी इन फसलों को बाजार में सस्ते रेट पर बेचना पड़ रहा है। माना जा रहा है कि इस बार किसानों को मूंगफली में 4687 करोड़ का, मूंग में 3079 करोड़ का और सोयाबीन में 1055 करोड़ का घाटा हुआ है, जिससे किसानों में कोलाहल मचा हुआ है।
जोधपुर में किसानों की हालत
सरकार के सरकारी खरीद केंद्रों पर अभी तक फसल की खरीद ही शुरू नहीं हो पाई है और मूंग, सोयाबीन और मूंगफली की खरीद की अवधि समाप्त होने को है। प्रदेश के जोधपुर जिले में किसानों के लिए पहले 28 खरीद केंद्र थे, लेकिन केवल 12 केंद्रों पर ही खरीद हो रही है। बाकी के खरीद केंद्र अभी तक चालू नहीं हुए। इसके अलावा फलोदी जिले में भी 25 खरीद केंद्र है और इनमें से भी अभी केवल 8 केंद्रों पर ही खरीद हो रही है।
प्रदेश में किस फसल के कितने खरीद केंद्र
राजस्थान में फसलों के कुल खरीद केंद्रों की संख्या 930 है। जिसमें से 370 केंद्र मूंग के, 90 केंद्र सोयाबीन के, 297 केंद्र मूंगफली के और 28 खरीद केंद्र जोधपुर जिले के हैं। इतने खरीद केंद्र होने के बावजूद भी किसानों को 8821 करोड़ का घाटा हुआ। क्योंकि सभी केंद्रों पर खरीद चालू ही नहीं हो रही है और जहां पर हो रही है, वहां पर सही दाम नहीं मिल रहे।
किसानों को क्या-क्या समस्याएं आ रही है
किसानों का कहना है कि जिन भी खरीद केंद्रों पर फसल की खरीद हो रही है। वहां पर बारदाना ही उपलब्ध नहीं है। अगर केंद्र फसलों की खरीद कर भी ले तो, फसलों को रखने के लिए उचित वेयरहाउस की व्यवस्था नहीं है। फसलों के परिवहन की सही व्यवस्था न होने के कारण ज्यादातर फसलों की खरीद ही नहीं हो पा रही है। जिससे किसानों को फसलों को बेचने में बहुत नुकसान उठाना पड़ा है।
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