Rajasthan High Court: राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में यह कहा की "किसी कर्मचारी के कार्य दिवसों में उसकी कुल सेवा अवधि की गणना करते समय रविवार और संवेदन अवकाश को शामिल किया जाना चाहिए।" श्रम न्यायालय के एक पूर्व निर्णय को पलटते हुए हाई कोर्ट ने बर्खास्त कर्मचारियों को यह राहत प्रदान की है।
क्या है पूरा मामला
बैंक ऑफ़ बड़ौदा के पूर्व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी लालचंद जिंदल की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अनूप ढांड ने यह निर्णय सुनाया। दरअसल जिंदल को सेवा से हटा दिया गया था। क्योंकि बैंक के मुताबिक उन्होंने पिछले कार्य वर्ष में मात्र 227 दिन काम किया था जो निरंतर रोजगार के लिए कानूनी रूप से 240 दिनों से कम है।
इसके बाद जिंदल ने श्रम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया लेकिन वहां भी फैसला उन्हीं के खिलाफ गया। इसके बाद उन्हें हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। अदालत में आगे निर्देश दिया कि मामले पर श्रम न्यायालय द्वारा भारतीय विचार किया जाए और एक साल के अंदर निर्णय देने के भी आदेश दिए गए। दोनों पक्षों को 17 अप्रैल तक श्रम न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने के निर्देश दिए गए हैं।
क्या कहा हाई कोर्ट ने
फैसले में हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय और औद्योगिक विवाद अधिनियम 1994 की धारा 25 भी (2) का भी संदर्भ दिया। इस कानूनी प्रावधान और सर्वोच्च न्यायालय की व्याख्या के मुताबिक किसी कर्मचारी की निरंतर सेवा अवधि में रविवार और अन्य भुगतान वाली छुट्टियां शामिल होनी चाहिए।
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