Rajasthan Water Yojana: 'जल ही कल है।' इस स्लोगन का महत्व समझते हुए राजस्थान सरकार ने एक सराहनीय पहल की है। दरअसल, राजस्थान सरकार की ओर से 'कर्मभूमि से मातृभूमि' अभियान की शुरुआत की गई है। इस खास अभियान के तहत बारिश का पानी सहेजने की पुरानी परंपरा को पुनर्जीवित किया जाएगा।
दावा किया जा रहा है कि राजस्थान सरकार का ये फैसला अगर सफल रहा तो रेत के दूर-दराज इलाके में स्थित गांव भी जल संचय कर इस दिशा में आत्मनिर्भर बन सकेंगे। कर्मभूमि से मातृभूमि अभियान की मदद से जन-जागरूकता का प्रसार कर भूजल स्तर की गिरावट को रोकने का काम किया जाएगा।
राजस्थान में रुकेगा भूजल स्तर का गिरावट
जल संचय के लिए केंद्र की अनूठी पहल को राजस्थान सरकार राज्य में भी रफ्तार देगी। जानकारी के मुताबिक राजस्थान के पाली, झुंझुनू, जोधपुर, भीलवाड़ा, जयपुर सिरोही आदि जिलों में इस अभियान के तहतरिचार्ज शाफ्ट सरंचनाओं का निर्माण होगा। इन संरचनाओं की मदद से बारिश के पानी और भाप बनकर उड़ने वाले सतही जल का संचय किया जा सकेगा। दावा है कि जल का ये संचय करना निकट भविष्य में लाभकारी होगा और भूजल स्तर में गिरावट थम सकेगी।
गौरतलब है कि भूजल पर अत्यधिक निर्भरता के कारण राजस्थान का 72 फीसदी हिस्सा अतिदोहित श्रेणी में आ चुका है। इससे भूजल की गुणवत्ता प्रभावित हुई है और निकट भविष्य के लिए संकट भी उभर रहा है। इसी चुनौती से पार पाने के लिए राजस्थान सरकार 'कर्मभूमि से मातृभूमि' अभियान को रफ्तार दे रही है।
आसार जताए जा रहे हैं कि इस खास पहल से जल संचय कर विकसित और समृद्ध राजस्थान के लिए काम किया जा सकेगा। इसके साथ कि किसानों के लिए सिंचाई तो व्यवसायियों के लिए उद्योग हेतु पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध कराकर एक नया आयाम स्थापित किया जाएगा।