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Pipalantri village Tourism: राजस्थान का एक छोटा सा गांव अपने महान कामों की वजह से विदेशी स्कूलों के सिलेबस में अपनी जगह बनाई है। चलिए बताते हैं क्या है इसकी वजह।

Pipalantri Village Tourism: भारत के बारे में अभी तक विदेशी किताबों में राजस्थान के महान क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी, महान पुरुष, राजाओं और ऐतिहासिक चीजों के बारें में पढ़ा‌ होगा। लेकिन राजस्थान के एक गांव ऐसा है, जो अपने अनूठी कारनामों के वजह से विदेशी स्कूलों के किताब के सिलेबस में अपनी जगह कायम है। इस गांव की अनोखी कहानी यह है की यहां पर अगर बेटी पैदा होती है‌, तो इसके सम्मान में यहां के लोग एक पेड़ नहीं बल्कि, 111 पेड़ लगाए जाते हैं। इसी वजह से इस गांव को विदेशी सिलेबस में शामिल किया गया है और वहां के लोग इसकी स्टोरी को प्ररेणा स्वरूप पढ़ते हैं। 

किस देश के सिलेबस में हुई शामिल

दरअसल राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित एक छोटा सा गांव पिपलांत्री है, जो अपने अनूठी कारनामों के वजह से देश-विदेश तक फेमस हैं। कहां जाता है इस गांव में किसी के घर में बेटी पैदा होती है, तो यहां के सभी लोग मिलकर एक पेड़ नहीं, बल्कि 111 पेड़ लगाते हैं और जश्न के तौर मिठाई बटवा कर पूरे गांव में खुशियां मनातें है।

इसी वजह से डेनमार्क के स्कूलों में यह स्टोरी पढ़ाया जाता है। इतना ही नहीं यहां कि स्टोरी सिलेबस में शामिल कर दिया गया है। इसे सिलेबस में जोड़ने का सबसे महत्वपूर्ण मकसद कन्या जन्म को बढ़ावा देना था, साथ ही यहां के बच्चे यह जान रहे हैं कि किस तरह से सामाजिक सरोकार और कन्या जन्म और पर्यावरण को एक साथ जोड़कर विकास की ओर आगे बढ़ रहें हैं। 

बता दें कि 2014 में डेनमार्क से स्टडी करने आई मास मीडिया यूनिवर्सिटी की दो स्टूडेंट्स ने बताया था कि डेनमार्क की सरकार के विश्व के अनेक देशों में से ऐसे 110 प्रोजेक्ट्स हैं, जिसमें से पिपलांत्री गांव को टॉप 10 में शामिल किया गया है। इस गांव की पूरी स्टडी करने के बाद वहां के प्राइमरी स्कूलों में बच्चों के सिलेबस में इस गांव की कहानी को शामिल किया गया है और इसे पढ़ाया भी जाता है।

किसने की इस अनूठी पहल की शुरुआत

कहा जाता है कि इस महान काम की शुरुआत गांव के सरपंच श्याम सुंदर ने किया था। दरअसल सरपंच अपनी बेटी को बहुत मानते थे, लेकिन वह ज्यादा दिन जी नहीं पाई। इसके बाद बेटियों के जन्म लेने पर हमेशा के लिए पेड़ लगाने का नियम बना दिया गया। इसके बाद इस गांव में पैदा होने वाली सभी बेटियों के लिए 111 पेड़ लगाए जाने लगे।

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