Rajasthan Unique Railway Station: भारतीय रेलवे, जो देश के विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, आमतौर पर सरकारी नियंत्रण में काम करता है। लेकिन राजस्थान के सीकर-चूरू मार्ग पर स्थित रशीदपुरा खोरी रेलवे स्टेशन एक अनोखा उदाहरण है, जहां रेलवे संचालन का जिम्मा ग्रामीणों ने अपने कंधों पर ले लिया है। यह स्टेशन भारतीय रेलवे द्वारा बंद कर दिया गया था, लेकिन गांव वालों की मेहनत और लगन ने इसे फिर से जीवित किया है।
स्टेशन का इतिहास
रशीदपुरा खोरी रेलवे स्टेशन की स्थापना 1942 में हुई थी। हालांकि, समय के साथ रेलवे को इस स्टेशन से घाटा होने लगा और 2004 में इसे बंद करने का निर्णय लिया गया। बंद होने के कारण, आसपास के ग्रामीणों को आवागमन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। स्टेशन के बंद होने से स्थानीय लोगों की ज़िंदगी प्रभावित हुई, और उनकी जरूरतों को समझते हुए, ग्रामीणों ने रेलवे से फिर से इस स्टेशन को खोलने की गुहार लगाई।
ग्रामीणों की मेहनत
ग्रामीणों ने रेलवे अधिकारियों से कई बार अनुरोध किया कि वे स्टेशन को पुनः चालू करें। रेलवे ने इसके संचालन के लिए एक शर्त रखी: अगर इस जगह से तीन लाख टिकट की बिक्री होगी, तभी स्टेशन को फिर से खोला जाएगा। गांव वालों ने मिलकर अपनी कोशिशें शुरू कीं और अंततः उनके प्रयासों के फलस्वरूप स्टेशन 2009 में पुनः चालू हुआ। तब से लेकर अब तक, इस स्टेशन का संचालन ग्रामीण ही करते आ रहे हैं।
यहां तक कि टिकट काटने से लेकर स्टेशन की सफाई और देखरेख तक का काम ग्रामीण करते हैं। इस अनूठे प्रयोग ने न केवल रेलवे स्टेशन को जीवित रखा, बल्कि स्थानीय समुदाय में एकता और सहयोग की भावना को भी बढ़ावा दिया।
भविष्य की योजनाएं
हाल ही में, रेलवे ने इस स्टेशन को हाईटेक बनाने की योजना बनाई है। लगभग 20 करोड़ रुपये की लागत से इसे आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा। इसके साथ ही, स्टेशन पर नौ सरकारी कर्मचारियों की नियुक्ति भी की जाएगी। इससे स्टेशन की कार्यक्षमता बढ़ेगी और यात्रियों को बेहतर सेवा मिल सकेगी।