Jaisalmer Ram Rot: जैसलमेर का राम रोट देश भर में काफी मशहूर है। रेतीले टीलों में चरवाहों द्वारा बनाए जाने वाली यह खास रोटी काफी बड़ी और भारी होती है। इसे सीधे गर्म कोयले पर पकाया जाता है। इस रोटी का वजन 1 किलो से भी ज्यादा होता है। 120 साल से भी ज्यादा समय से बनाई जाने वाली है रोटी एक मुख्य भोजन है।
ताकत और सेहत के लिए जरूरी
राम रोट बाजरे के आटे से बनाया जाता है जो फाइबर और पोषक तत्वों से भरपूर होता है। चरवाहे इसे रोज खाते हैं और मानते हैं कि यह शरीर को मजबूत और स्वस्थ रखता है। राजस्थान में राम रोट भगवान हनुमान के भोग के रूप में भी चढ़ाया जाता है।
हनुमान जन्मोत्सव के दौरान मंदिरों में प्रसाद के रूप में गुड़ से बना राम रोट चढ़ाया जाता है। स्थानीय परंपरा से राम रोट का एक अटूट नाता है।
राम रोट बनाने की विधि
सबसे पहले बाजरे के आटे और पानी को मिलाकर सख्त आटा गूंथ लें। इसके बाद आटे को बड़ी-बड़ी गोल आकार की गेंद में बांट लें और फिर मोटाई में चपटा कर लें। इसके बाद एक तवा या भारी पैन गर्म करें उसमें घी डालें और चपटा की हुई डिस्क को दोनों तरफ से सुनहरा भूरा होने तक पकाएं। हालांकि पारम्परिक रूप से राम रोट धीमी आंच पर तंदूरनुमा अंगीठी या मिट्टी के चूल्हे में सेंका जाता है। इसके बाद राम रोट तैयार है। मीठा राम रोट बनाने के लिए आकार देने से पहले आते में गुड मिला लें। यह स्वादिष्ट डिश स्वाद में लाजवाब होने के साथ-साथ काफी पौष्टिक भी है।
राम रोट की खासियत यह है की ये लम्बे समय तक चलता है और खराब नहीं होता। इसे दाल, चटनी, गट्टे की सब्जी के साथ खाया जाता है और अगर आप मीठा राम रोट बना रहे हैं तो उसे खीर के साथ खा सकते हैं।
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