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Women safety problems: राजस्थान में महिलाओं की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा बन गया है, जिससे निजी हॉस्टल और पीजी में रहने वाली महिलाओं को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

Women safety problems: महिलाओं की सुरक्षा का मामला राज्य का ही मामला नहीं बल्कि यह देश का एक बड़ा मुद्दा है। राजस्थान की सरकार महिलाओं की सुरक्षा के लिए कईं तरह से कदम उठा रही है। समाज को भी महिलाओं की सुरक्षा के लिए सरकार का समर्थन करना होगा।

दूसरी ओर निजी हॉस्टल्स और पीजी में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। महिलाओं के सुरक्षा न के बराबर मिलती है। साथ ही उनकी बुनियादी जरूरतों का भी ध्यान नहीं रखा जाता। नौकरी पेशा या पढ़ाई लिखाई करने वाली महिलाओं की सुरक्षा की ज्यादा घटनाएं देखने को मिलती हैं। क्योंकि उन्हें ज्यादातर अपने घर से अलग दूसरे शहर में रहकर नौकरी करनी होती है। 

10 बजे तक ही घर आना होगा

मानसरोवर के एक पीजी में रहने वाली लड़की बताती हैं कि हमारे से सिक्योरिटी और मेंटिनेंस के पैसे लिए जाते हैं, लेकिन किसी भी प्रकार की न तो सिक्योरिटी मिलती है और न ही कोई रखरखाव होता है। यहां तक की कोई फायर एग्जिट, गार्ड, CCTV कैमरा जैसी सुविधा तक नहीं मिलती।

इसके साथ ही अगर हमें कभी रात को आने में देरी हो जाती है तो, पीजी का गेट नहीं खोला जाता और जिससे हमें कहीं बाहर ही रात गुजारनी पड़ती है। मकान मालिक भी बार बार परेशान करता रहता है। जयपुर एक  बड़ी  सिटी होते हुए भी है, यहां अन्प्रोफेशनल पीजी ज्यादा हैं।

सिक्योरिटी नहीं मिलती और पैसे लिए जाते हैं

बापूनगर के पीजी में रहने वाली एक लड़की ने बताया कि हमसे सिक्योरिटी के नाम के 8000 रुपए लिए गए थे। लेकिन सिक्योरिटी तो दूर की बात, हमे कोई सामान्य सुविधा भी नहीं मिल रही। साथ ही न तो यहां किसी भी प्रकार का कोई फायर एग्जिट, CCTV कैमरा, सुरक्षा गार्ड भी नहीं है। 

बाहर का कोई भी अंदर आ जाता है

जयपुर के मालवीय नगर के पीजी में  रहने वाली एक लड़की ने बताया कि पीजी में लोग अपना काम करने के लिए आते जाते रहते हैं, लेकिन उनका कोई नाम पता दर्ज नहीं किया जाता। कोई सबूत तक नहीं है कि कब कौन अन्दर आया और बाहर गया। अगर किसी की बाद में पहचान की जाए तो, शायद ही उसकी पहचान हो पाए। पीजी में रूम के लिए लड़के भी आते है और उनसे कोई आईडी तक नहीं मांगी जाती। 

महिला हेल्पलाइन का होना बहुत जरूरी

पीजी और हॉस्टल में रह रही महिलाओं का कहना है कि पीजी के बाहर और अंदर महिला हेल्पलाइन का बोर्ड लगा हुआ होना चाहिए। साथ ही पीजी में महिला काउंसलिंग भी होनी चाहिए। जिससे महिलाओं को मानसिक तनाव, अकेलेपन को लेकर  किसी विशेषज्ञ से बात कर सके और अपना समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सके।

प्रशासन को इस सभी समस्याओं पर काम करने आवश्यकता है। एसपी और कलेक्टर जैसे बड़े अफसरों को इन समस्याओं पर संज्ञान लेना ही होगा। महिला सुरक्षा एक बहुत बड़ा और सेंसिटिव मुद्दा है। पीजी में CCTV कैमरा, गार्ड और इमरजेंसी एग्जिट का होना अनिवार्य होना चाहिए।

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