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Sambhar Jheel: राजस्थान के सांभर कस्बे की प्रसिद्ध सांभर झील फिर चर्चा में है, जहां 520 प्रवासी पक्षियों की मौत हो गई और 235 पक्षी घायल हो गए हैं।

Sambhar Jheel: जयपुर के ग्रामीण जिले में समुद्र तल से 1200 फीट की ऊंचाई पर स्थित सांभर झील भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है, जिसे सांभर साल्ट लेक के नाम से भी जाना जाता है। अरावली पर्वत श्रेणी में 5,702 वर्ग किलोमीटर में फैली इस झील में हर साल सैकड़ों प्रवासी पक्षी आते हैं, लेकिन कई बार यह उनके लिए घातक साबित होती है।

प्रवासी और देशी पक्षियों का बसेरा

सांभर साल्ट लेक हर साल विभिन्न देशों से 85 से अधिक प्रजातियों के पक्षियों का स्वागत करती है। इनमें टमनिक, नोबिल डक, बुड सैंड पाइपर, लेसर सैंड प्लूवर, नॉर्दन शॉवलर, कॉमन टील, नॉर्दन पिटेल, मलाई, ब्लैक ब्राउन हैडेड गल, पलास गल, ग्रू प्लूवर, और क्रीस्टेड लार्क जैसी विदेशी प्रजातियां प्रमुख हैं। साथ ही, यह झील देशी पक्षियों का भी एक महत्वपूर्ण बसेरा है, जो इसे जैव विविधता का अद्भुत केंद्र बनाती है।

सांभर लेक में पक्षियों की मौत

9 नवंबर 2024 को सांभर लेक में 520 पक्षियों की मौत की घटना ने एक बार फिर चिंताएं बढ़ा दी हैं। यह पहली बार नहीं है, नवंबर 2019 में भी इसी झील में 18,000 देशी-विदेशी पक्षियों की सामूहिक मौत हुई थी। उस समय अशोक गहलोत सरकार ने जांच कमेटी बनाई थी, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका। यह घटनाएं सांभर लेक की पर्यावरणीय स्थिति और संरक्षण के प्रयासों पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं।

सांभर झील में पक्षी बचाव अभियान

नावां एसडीएम जीतू कुल्हरी ने बताया कि 2019 में सांभर झील में बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत के बाद एहतियाती कदम उठाए गए। बीमार या मरे हुए पक्षियों को झील में छोड़ने से रोकने के लिए रोजाना दस टीमें झील में तैनात की गईं। इसके बावजूद हाल ही में 520 पक्षी मृत और 235 घायल पाए गए। घायल पक्षियों का इलाज वन विभाग की टीमें नावां और मीठड़ी अस्पताल में कर रही हैं। इस अभियान का उद्देश्य बीमारी के प्रसार को रोकना और पक्षियों के जीवन को बचाना है।

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