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Saraswati River Jaisalmer: मोहनगढ़ में एक खेत में ट्यूबवेल की खुदाई की जा रही थी। अचानक तेज बहाव के साथ जमीन से पानी निकलने लगा। खेत पानी से भर गए। इसे सरस्वती नदी से जोड़ा जा रहा है।

Saraswati River Jaisalmer: बीते शनिवार को जैसलमेर जिले के मोहनगढ़ में एक खेत में ट्यूबवेल की खुदाई चल रही थी। इस दौरान अचानक जमीन से एक तय माप से ज्यादा पानी निकलने लगा। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि इस दौरान गैस लीकेज भी पाई गई। काफी मशक्कत के बाद पानी निकलना बंद हुआ। अब इसके बाद चर्चाओं का बाजार गर्म है।

पश्चिमी राजस्थान की यह खबर पूरी दुनिया में सुर्खियां बन गई है। इसके पीछे कई कारण भी बताए जा रहे हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो हजारों साल पहले विलुप्त हो चुकी सरस्वती नदी का घाट फिर से जागृत होने लगा है। आज हम इस लेख के माध्यम से इन्हीं सब बातों की पौराणिक और समसामयिक तथ्यों के आधार पर पड़ताल करेंगे।

जमीन से पानी का फव्वारा फूटा

आपको बता दें कि शनिवार को रेगिस्तान के वीरों की धरती कही जाने वाली मोहनगढ़ उपतहसील के तीन जोरा माइनर की 27 बीडी पर एक खेत में ट्यूबवेल की खुदाई चल रही थी। इसमें आधुनिक तकनीक से लैस मशीन का उपयोग किया जा रहा था। मशीन एक ट्रक पर लदी हुई थी।

घंटों बीत जाने के बाद कार्य संचालन से लेकर अगले अड़तालीस घंटों के दौरान जो दृश्य दिखा वह दिल दहलाने वाला था। ट्रक करीब सैकड़ों फीट गहराई में धंस गया। धरती को चीरते हुए पानी के फव्वारे निकलने लगे। पानी का स्तर इतना अधिक था कि ऐसा लग रहा था जैसे सूखे खेतों में बाढ़ आ गई हो। पानी के साथ रेत और मिट्टी का बहाव बिल्कुल साफ था। जो अब वैज्ञानिकों और स्थानीय लोगों के लिए भी रहस्यमय बन गया है। 

सरस्वती नदी पर चर्चा

स्थानीय लोग अब मोहनगढ़ के इस दृश्य को सरस्वती नदी से जोड़ रहे हैं। लोगों का मानना है कि मोहनगढ़ के खेतों में सरस्वती नदी का घाट फूटा है। ज्ञात हो कि हजारों साल पहले विलुप्त हो चुकी यह नदी वर्तमान समय में प्रासंगिक हो गई है। हालांकि वैज्ञानिक इस पर अब तक कभी एकमत नहीं हुए हैं। न ही कभी कोई स्पष्ट तथ्य सामने आए हैं।

वहीं, धार्मिक शास्त्रों की मानें तो राजस्थान के रेगिस्तान में ऋग्वेद और महाभारत में सरस्वती नदी का उल्लेख किया गया है। जो वर्तमान में विलुप्त हो चुकी है। पौराणिक कथाओं में भी माना गया है कि थार से बहने वाली सरस्वती नदी के जल से ही वेदों की रचना हुई है। वर्तमान में राज्य सरकार की ओर से इस नदी के अस्तित्व और पुनरुद्धार के लिए योजनाएं चलाई जा रही हैं। 

अधिकारियों ने कही ये बातें

कई साल पहले भी सरकार राजस्थान में सरस्वती नदी की खोज करती रही है। देश की कई संस्थाएं इस विषय पर शोध अभियान का हिस्सा रही हैं। इसमें केंद्रीय भूजल बोर्ड, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र के अलावा केंद्र और राजस्थान के भूजल बोर्ड का नाम शामिल है।

शनिवार को मोहनगढ़ की घटना पर अधिकारियों का कहना है कि पूरे मामले पर शोध कार्य जारी है। बताया गया है कि केंद्र और राज्य सरकार के भूजल विभाग की इकाई द्वारा घटना की पड़ताल की जा रही है। समाचार लिखे जाने तक मिली जानकारी के अनुसार केयर्न एनर्जी कंपनी भी इस जांच अभियान का हिस्सा बन गई है। इस कंपनी के कई विशेषज्ञों की देखरेख में पूरे मामले की जांच चल रही है। उम्मीद है कि जल्द ही इस रहस्य से पर्दा उठ जाएगा।

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