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World Largest Silver Urns: राजस्थान अपने अनोखे इतिहास और कला प्रेम के लिए जाना जाता है। आज के इस लेख में बात करने जा रहे हैं जयपुर के महाराजा सवाई माधो सिंह द्वितीय के बारे में। आईए जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें।

World Largest Silver Urns: हिंदू धर्म गंगाजल काफी पवित्र माना जाता है। इसकी इतनी ज्यादा मान्यता है कि इसे अमृत जैसा ही माना जाता है। गंगाजल को लेकर इतिहास में कई प्रकार के कहानी मशहूर हैं। लेकिन आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसी असाधारण कहानी की जिसने भक्ति और आस्था को एक अलग ही दर्जा दे दिया। यह कहानी है जयपुर के महाराजा सवाई माधो सिंह द्वितीय की। 

सवाई माधो सिंह का गंगाजल के प्रति प्रेम और आदर

महाराजा सवाई माधो सिंह द्वितीय 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में जयपुर प्रशासन कर रहे थे। उनकी जीवन शैली काफी अनोखी और अडिग मान्यताओं से भरी हुई थी। दरअसल उन्होंने जीवन भर मात्र गंगाजल ही पिया। उन्होंने सादे पानी को कभी हाथ भी नहीं लगाया। चाहे घर पर हों या फिर कहीं भी यात्रा कर रहे हों वे केवल गंगा का पवित्र जल ही पीते थे। गंगाजल के प्रति उनके प्रेम को कुछ लोग पागलपन बताते थे तो कुछ लोग भक्ति कहते थे।

क्या है दुनिया के सबसे बड़े चांदी के कलश की कहानी 

एक बार महाराजा ने ब्रिटेन की यात्रा करने की योजना बनाई। अब सबसे बड़ी दुविधा यह आन पड़ी की इतनी लंबी यात्रा में महाराज क्या पियेंगे। इसका उन्होंने एक काफी विचित्र समाधान निकाला। उन्होंने विदेश में गंगाजल ले जाने के लिए दो विशाल चांदी के कलश बनवाएं। इन चांदी के कलशों को 14000 चांदी के सिक्कों को पिंगलाकर बनाया गया था। यह काम जयपुर के कारीगरों द्वारा किया गया था। इन कलश में लगभग 4000 लीटर पानी आ सकता था। 
आपको बता दें की गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने उन्हें दुनिया के सबसे बड़े चांदी के बर्तन के रूप में मान्यता दी है। इसके बाद महाराजा सवाई माधो सिंह का नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जा चुका है। यें कलश आज भी जयपुर के सिटी पैलेस संग्रहालय में संरक्षित हैं।

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