Swami Vivekananda Stayed In Rajasthan: सीकर शहर में स्थित भव्य गढ़ भारत के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक इतिहास एक महत्वपूर्ण अध्याय का गवाह है। करीब 134 साल पहले 1891 में स्वामी विवेकानंद शिकागो जाने से पहले इसी किले के अंदर रुके थे। दरअसल उन्हें शिकागो में धर्म संसद में एक भाषण देना था, वहां जाने से पहले स्वामी विवेकानंद इसी किले के अंदर रुके थे।
सीकर में हुआ था शाही स्वागत
वैश्विक आध्यात्मिक प्रतीक बने से पहले स्वामी विवेकानंद नरेंद्रनाथ दत्त के नाम से जाने जाते थे। उसे वक्त उन्होंने पूरे भारत की यात्रा की थी। इसी यात्रा के दौरान उन्हें उस समय के तत्कालीन शासक राव राजा माधो सिंह से मिलने का मौका मिला। राव राजा माधो सिंह ने स्वामी विवेकानंद का सीकर में गर्म जोशी के साथ स्वागत किया। सीकर की इस किले में स्वामी विवेकानंद एक शाही अतिथि के रूप में ठहरे थे।
राजा ने उनको बहुत सम्मान किया और उनके ठहरने की व्यवस्था किले के परिसर के एक महत्वपूर्ण हिस्से माधव निवास कोठी में की। जिस बुर्ज पर स्वामी जी रहते थे वह आज भी ज्यों का त्यों खड़ा है। इसी के साथ वहां पर एक शिलालेख भी है जिस पर स्वामी जी का नाम लिखा हुआ है।
कैसे मिला विवेकानंद नाम
इस यात्रा के दौरान उन्हें खूब उपहार मिले। साथ ही खेतड़ी, बाजोर, अलसीसर और भोपालगढ़ जैसे शहरों की यात्रा करते हुए शाही परिवारों के साथ उनके मजबूर संबंध बने। राजा अजीत सिंह की खेतड़ी में उन्हें विवेकानंद नाम मिला। इसी के साथ उन्हें खेतड़ी शैली की पगड़ी और अंगरखा सहित पारंपरिक पोशाक भी दी गई। पूरी पोशाक उनकी छवि की एक प्रतिष्ठित भूमिका बन गई।
राजा अजीत सिंह के साथ स्वामी जी ने जीणमाता मंदिर के दर्शन किए। इसके बाद स्वामी जी सीकर पहुंचे और उन्होंने राव राजा माधो सिंह के साथ गहन बातचीत की।
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