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Jaipur sanitation workers: जयपुर में निगम ने 1700 अस्थाई अकुशल श्रमिकों की निविदा निकाली। पिछले डेढ़ साल से कोई भर्ती नहीं हो रही। कार्मिकों को जयपुर शहर की साफ सफाई के अलावा अन्य जिम्मेदारियां भी दी जाएगी।

Labor Shortage in Jaipur: राजस्थान के जयपुर शहर की सफाई व्यवस्था को अस्थाई सफाई कर्मचारियों के हाथ में देने की तैयारी चल रही है। क्योंकि पिछले साल से दोनों नगर निगमों की करीब 4 हजार सफाई कर्मचारियों की भर्ती रुकी हुई है। इसके पहले भी पिछली सरकार ने भर्ती के प्रयास किए थे, लेकिन भर्ती नहीं हो पाई थी। इसके बाद अब ग्रेटर निगम ने अस्थाई अकुशल श्रमिकों की 1700 निविदाएं निकाली हैं और एक साल में निगम इस कर्मचारियों पर 21 करोड़ भी रुपए खर्च करेगा।

नगर निगम ने बरती लापरवाही

कंपनिया अस्थाई अकुशल श्रमिकों को सही और समय वेतन नहीं देती हैं। वार्ड के कार्यालयों के लिए 2-2 अस्थाई अकुशल श्रमिक जोन की बजाय जयपुर के सांगानेर, विद्याधर, जगतपुरा और मानसरोवर जोन में ही काम कर रहे हैं। इसके अलावा मुरलीपुरा, मालवीय नगर और झोटवाड़ा में अकुशल श्रमिक उपलब्ध हैं कराने वाली फर्म अभी समय पर भुगतान भी नहीं कर रही हैं। इस कार्य में नगर निगम के अधिकारियों की तरफ से भी बहुत लापरवाही बरत रहा है। 

अकुशल श्रमिकों के होंगे ये। सब काम

अकुशल श्रमिक वार्ड में साफ सफाई, डिवाइडर ओर फुटपाथ के बीच पौधे लगाना, झाड़ू लगाने, गंदगी को हाथ गाड़ी के द्वारा कचरा डिपो तक पहुंचने का कार्य, 2 फीट तक की नालियों की सफाई और अन्य साफ सफाई के कार्य करेंगे। साथ ही रात के सफाई करने के लिए अलग से समय तय किया जाएगा और अकुशल श्रमिकों को संवेदक की सभी बातों को मानना भी पड़ेगा। 

इसके अलावा कार्मिकों को अधिकतम 26 दिनों का भुगतान किया जाएगा और प्रत्येक दिन के 285 रुपए कार्मिकों को दिए जाएंगे। साथ ही 18 साल से कम उम्र के कार्मिकों को नियोजित नहीं किया जाएगा और हर दिन कम से कम 8 दिन काम करना होगा। कार्मिकों से नाइट स्विपिंग का कार्य भी कराया जा सकता है। 

कार्मिकों को ये जुर्माना भी देना पड़ सकता है

श्रमिकों के अनुपस्थित होने पर 200 रुपए, पहचान पत्र नहीं होने पर 20 रुपए, रिफ्लेक्टर जैकेट नहीं पहने होने पर 40 रुपए और मौके पर कार्मिक नहीं मिलने की स्थिति में 1000 रुपए तक का जुर्माना देना पड़ सकता है।

अभी क्या है स्थिति

अब ग्रेटर निगम में तकरीबन 4000 सफाईकर्मी मौजूद हैं। इनमें से भी कुछ कर्मचारी इसे हैं, जो केवल दफ्तरों में बाबू बनकर बैठते हैं। इसके अलावा कुछ तो केवल हाजिरी ही लगाने के लिए जाते हैं। निगम ने कईं बार कर्मचारियों को वापस भेजने के लिए नोटिस भी निकाला है, लेकिन फिर भी कोई फायदा नहीं हुआ। निगम पता नहीं क्यों इन कर्मचारियों के ऊपर कोई जुर्माना क्यों नहीं लगाता।

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