Rajasthan Forts: राजस्थान वीरता की कहानियों का एक रंग बिरंगा कैनवास है। इस राज्य के कुछ किलों को 2013 में यूनेस्को द्वारा राजस्थान के पहाड़ी किलों के तहत मान्यता दी गई। आज के इस लेख में हम जानेंगे उन्हें किलों के बारे में।
आमेर किला
यह किला अरावली पहाड़ियों के ऊपर बसा हुआ है। यह जयपुर में सबसे अधिक देखे जाने वाले स्थानों में से एक है। इस किले का निर्माण 16वीं शताब्दी में राजा मानसिंह प्रथम द्वारा करवाया गया था। उसके बाद उनके उत्तराधिकारियों ने इस किले का विस्तार किया। इस किले के दीवान ए आम, शीश महल और सुख मंदिर काफी प्रसिद्ध हैं।
जैसलमेर किला
यह किला सोनार किला या स्वर्ण किले के रूप में जाना जाता है। इस किले का निर्माण रावल जैसल में 1156 में करवाया था। यह किला सुनहरे पीले बलुआ पत्थरों से बना है। इस किले के आसपास दुकानें, मंदिर और कैफे भी हैं। यूनेस्को द्वारा इसे विश्व धरोहर सूची में उच्च स्थान मिला है और इसी के साथ सत्यजीत रे की प्रतिष्ठित फिल्म सोनार किला ने इस जगह को और भी अमर बना दिया।
कुंभलगढ़ किला
यह किला राजसमंद जिले में स्थित है और अपनी 36 किलोमीटर लंबी दीवार के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि चीन की दीवार के बाद यह दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार है। इस किले का निर्माण 15वीं शताब्दी में राणा कुंभा ने करवाया था। इस किले के अंदर 300 से अधिक मंदिर और शांत जलाशय छिपे हुए हैं। इसी जगह राजस्थान के महान योद्धा राजा महाराणा प्रताप का भी जन्म हुआ था।
गागरोन किला
यह किला बाकी किलों की तरह ज्यादा मशहूर तो नहीं है। लेकिन इसके खास बात यह है कि यह तीन तरफ से पानी से घिरा हुआ है और चौथी तरफ एक खाई है। हाड़ोती क्षेत्र के झालावाड़ में स्थित है किला आहू और काली सिंध नदियों से घिरा हुआ है। इस किले की स्थापना राजा माधो भील द्वारा की गई थी और बाद में बिजल देव सिंह डोड ने इसका विकास किया।
रणथंभौर किला
इस किले का निर्माण चौहान वंश ने किया था। यह किला जमीन से 700 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इसका मुख्य आकर्षण त्रिनेत्र गणेश मंदिर है। यह किला आसपास के जंगलों का मनोरम दृश्य प्रदान करता है। साथ ही इतिहास में इस किलें ने राजपूत राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और अपने रणनीतिक स्थान के कारण अक्सर आक्रमणों का लक्ष्य रहा था।
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