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Udaipur Bagore Haveli: उदयपुर में भव्य और ऐतिहासिक हवेलियों की कोई कमी नहीं है, लेकिन कुछ हवेलियां ऐसी भी हैं जिनकी खासियत न केवल उनकी खूबसूरती और स्थापत्य कला है, बल्कि उनके निर्माण की अनोखी कहानी भी है।

Bagore Haveli Udaipur: उदयपुर, जिसे झीलों का शहर कहा जाता है, अपने ऐतिहासिक किलों, शाही महलों और भव्य हवेलियों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इन ऐतिहासिक धरोहरों में एक विशेष स्थान रखती है बागोर की हवेली, जो पिछोला झील के किनारे स्थित है। इसे न केवल इसकी अद्वितीय स्थापत्य कला के लिए जाना जाता है, बल्कि इसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत भी इसे खास बनाती है। बागोर की हवेली का निर्माण किसी राजा-महाराजा ने नहीं, बल्कि उदयपुर के प्रधानमंत्री अमर चंद बडवा ने करवाया था। यह हवेली लगभग 250 साल पुरानी है और आज भी अपनी खूबसूरती और ऐतिहासिक महत्व को समेटे हुए हैं।

18वीं सदी में मेवाड़ के महाराणा के प्रधानमंत्री रहे अमर चंद बडवा ने बागोर की हवेली का निर्माण करवाया था। अमर चंद न केवल प्रधानमंत्री थे, बल्कि वे महाराणा के प्रमुख सलाहकार भी थे। हवेली का निर्माण पिछोला झील के किनारे किया गया, जो अपने आप में एक अनूठा स्थापत्य चमत्कार है। 1878 में महाराणा शंभु सिंह ने इस हवेली का पुनर्निर्माण करवाया, और इसे और भी सुंदर बनाया। हवेली में मेवाड़ की पारंपरिक शिल्पकला का उत्कृष्ट नमूना देखा जा सकता है, जहां हर कोने में सुंदर नक्काशी, कांच का काम और आकर्षक शिल्पकला की छाप मिलती है।

बागोर की हवेली का आंतरिक सौंदर्य

बागोर की हवेली के अंदर 138 कमरे हैं, जिनमें से हर एक में मेवाड़ की समृद्ध विरासत झलकती है। हवेली के दरवाजे और खिड़कियों पर कांच का बारीक काम इसे और भी खूबसूरत बनाता है। हवेली में कई गलियारे, बालकनी और आंगन भी हैं, जो इसे एक भव्य रूप देते हैं। सबसे आकर्षक हिस्सा हवेली का ‘दर्पण महल’ है, जो दीवारों और छतों पर लगे अनगिनत छोटे-छोटे दर्पणों से सजा हुआ है। मोमबत्तियों और दीपों की रोशनी में यह कमरा अद्वितीय रूप से चमक उठता था, जो इसे एक जादुई एहसास देता है।

हवेली का म्यूजियम और पगड़ी संग्रह

1986 में इस हवेली को म्यूजियम में परिवर्तित कर दिया गया, जहां अब लोग मेवाड़ राजवंश के इतिहास से जुड़ी कई महत्वपूर्ण चीजों को देख सकते हैं। म्यूजियम में मेवाड़ की पारंपरिक पगड़ियों का संग्रह है, जिनमें दुनिया की सबसे बड़ी पगड़ी भी शामिल है। कुल मिलाकर, म्यूजियम में 140 पगड़ियां हैं, जो राजस्थान की समृद्ध संस्कृति और शाही विरासत को दर्शाती हैं।

रहस्यमयी कहानियां और लोककथाएं

बागोर की हवेली केवल अपनी सुंदरता के लिए ही नहीं, बल्कि इसके रहस्यमयी पहलुओं के लिए भी जानी जाती है। इस हवेली से जुड़े कई ऐसे किस्से हैं, जिनमें कुछ लोग हवेली के अंदर अजीबोगरीब आवाजें सुनने का दावा करते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इस हवेली में लुटेरों से छिपाकर खजाना रखा गया था, जो आज भी कहीं न कहीं मौजूद है। हालांकि, इन किस्सों की सच्चाई आज तक कोई प्रमाणित नहीं कर पाया है, लेकिन ये कहानियां हवेली को और भी दिलचस्प बनाती हैं।

सांस्कृतिक कार्यक्रम और शो

बागोर की हवेली न केवल एक ऐतिहासिक धरोहर है, बल्कि यह सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी प्रमुख केंद्र है। यहां हर दिन कठपुतली शो, लोक संगीत, लोक नृत्य और थिएटर से जुड़े शो आयोजित किए जाते हैं, जो राजस्थानी संस्कृति को जीवंत रूप में पेश करते हैं। इन कार्यक्रमों को देखने के लिए पर्यटकों को 100 से 200 रुपये के बीच टिकट लेना होता है।

अगर आप उदयपुर की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो बागोर की हवेली जरूर देखने जाएं। पिछोला झील के पास स्थित यह हवेली उदयपुर के मुख्य आकर्षणों में से एक है। यहां पहुंचने के लिए आप आसानी से ऑटो-रिक्शा का इस्तेमाल कर सकते हैं। हवेली में प्रवेश के लिए बच्चों की टिकट 30 रुपये और बड़ों की 60 रुपये होती है। हवेली सुबह 9:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक खुलती है, इसलिए आप इस दौरान इसे देखने का आनंद ले सकते हैं।

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