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Rajasthan Unique Village: राजस्थान का देवमाली गांव इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि परंपरा और आधुनिकता का संगम किस तरह हो सकता है। 

Rajasthan Unique Village: राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित देवमाली गांव न केवल अपनी पारंपरिक जीवनशैली, बल्कि यहां की अनूठी सामाजिक व्यवस्थाओं के लिए प्रसिद्ध है। यह गांव अपने करोड़पति निवासियों के बावजूद आधुनिक सुख-सुविधाओं के बीच भी कच्चे घरों में रहने का नियम निभाता है। इस अनोखी परंपरा के पीछे कई पीढ़ियों से चले आ रहे धार्मिक विश्वास और सामाजिक नियम हैं, जो देवमाली को राजस्थान के अन्य गांवों से अलग बनाते हैं।

कच्चे घरों में करोड़पति निवासियों का जीवन

इस गांव में कई करोड़पति रहते हैं, जिनके पास आधुनिक सुख-सुविधाओं की कोई कमी नहीं है। घरों में टीवी, फ्रिज, कूलर जैसी सुविधाएं मौजूद हैं और गांव के कई निवासी महंगी गाड़ियों के मालिक भी हैं। बावजूद इसके, यहां किसी भी घर में पक्की छत नहीं है। गांव वालों का मानना है कि पक्की छत बनाने से गांव में कोई बड़ी आपदा आ सकती है, और इसी वजह से वे सभी कच्चे मकानों में ही रहते हैं। इस मान्यता का पालन सभी ग्रामीण करते हैं, चाहे वे कितने ही अमीर क्यों न हों।

भगवान देवनारायण में गहरी आस्था

देवमाली के लोगों का भगवान देवनारायण में गहरा विश्वास है। इस गांव की सभी ज़मीन भगवान देवनारायण के नाम पर ही अंकित है। मान्यता है कि भगवान देवनारायण इस गांव में आए थे और यहां के लोगों की सेवा भावना से बहुत प्रभावित हुए थे। जब भगवान ने वरदान मांगने को कहा, तो गांव वालों ने विनम्रता से कोई भी वरदान नहीं मांगा। इससे प्रभावित होकर भगवान देवनारायण ने गांव के लोगों को आशीर्वाद दिया कि वे सुकून से रह सकेंगे, लेकिन इसके लिए उन्हें पक्की छत का मकान नहीं बनाना चाहिए। तब से यह गांव इस मान्यता का पालन कर रहा है और सभी घर कच्ची छत वाले हैं।

ग्रामीणों के अनुसार, जिन लोगों ने इस परंपरा को तोड़कर पक्की छत बनाने की कोशिश की, उन्हें किसी न किसी प्रकार का नुकसान उठाना पड़ा। इसके बाद से ही गांव के लोग पक्की छत बनाने से बचते हैं। देवमाली में मिट्टी और घास-फूस से बने घर यहां की प्राकृतिक सुंदरता में भी चार चांद लगाते हैं। इस गांव में सीमेंट, चूना और केलू का उपयोग नहीं किया जाता, और यहां तक कि देवमाली के लोग अपने घरों में आधुनिक निर्माण सामग्री का उपयोग भी नहीं करते हैं।

देवमाली गांव का हर निवासी शाकाहारी है और गांव में मांस, अंडा या शराब जैसी चीजें पूरी तरह वर्जित हैं। गांव में लावड़ा गोत्र के गुर्जर समाज के लोग ही बसते हैं, जो भगवान देवनारायण को अपना आराध्य मानते हैं। पूरे गांव में एक ही गोत्र के लोगों की उपस्थिति इस गांव को और भी अनोखा बनाती है।

बिजली न होने पर केरोसिन का प्रयोग निषेध

देवमाली के लोग बिजली न होने पर केरोसिन का उपयोग भी नहीं करते। गांव के लोग तिल्ली के तेल से दीपक जलाते हैं, जो उनकी आस्था को और भी सुदृढ़ बनाता है। यहां के लोग मानते हैं कि परंपराओं का पालन करने से उनके गांव में शांति और सुरक्षा बनी रहती है।

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