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Jaipur BRTS Corridor: जयपुर के बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाने के लिए नगरीय विकास विभाग ने मंजूरी दे दी है। जेडीए अब कॉरिडोर को हटाने की प्रक्रिया को शुरू कर पाएगा। आईए जानते हैं इससे संबंधित सभी मुख्य जानकारियां।

Jaipur BRTS Corridor: राजस्थान के शहरी विकास विभाग ने जयपुर के बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम कॉरिडोर को हटाने के लिए मंजूरी दे दी है। वित्त विभाग द्वारा हरी झंडी दिखा दी गई है। इस निर्णय के बाद अब जयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा कॉरिडोर को हटाने का काम शुरू होने वाला है।

कैसे हुई शुरुआत 

जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन के तहत जयपुर के बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम का निर्माण दो चरणों में हुआ था। पहले चरण की शुरुआत 2010 में हुई थी जिसमें एक्सप्रेस वे से सीकर रोड पर अंबाबाड़ी तक 7.1 किलोमीटर लंबा हिस्सा बनाया गया था। इसकी निर्माण लागत 75 करोड रुपए थी। इसके बाद दूसरे चरण की शुरुआत 2015 में हुई थी। अजमेर रोड से किसान धर्म कांटा (बी-2 बाईपास तिराहा) के जरिए न्यू सांगानेर रोड तक 9 किलोमीटर तक का विस्तार किया गया था। जिसकी लागत करीब 95 करोड रुपए आई थी। 

जेएनएनयूआरएम दिशा निर्देशों के अनुसार यहां पर विशेष रूप से चलने के लिए 100 बीआरटीएस बसें खरीदी गई थी। इस परियोजना की आधी लागत यानी की 85 करोड रुपए केंद्र सरकार द्वारा दी गई थी जबकि बाकी राशि राज्य सरकार द्वारा वहन की गई।

परिचालन संबंधी चुनौतियां 

दरअसल बीआरटीएस लेने तक सीमित रहने की बजाय 100 बसों को अन्य शहरों के मार्गों पर भी चला दिया गया था ताकि अन्य जगहों पर सेवा अंतराल को भरा जा सके। इससे दिक्कत यह आई कि कॉरिडोर में नियमित अवधि में बस संचालन नहीं हो सका। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि दोनों चरणों को निर्बाध रूप से एकीकृत नहीं किया गया जिसकी वजह से असंगत लेने गुणवत्ता और सिगनलिंग हुई। इसके बाद बस की गति में और ज्यादा बाधा आई। 


केंद्र सरकार की स्वीकृति 

यूडीडी और वित्त विभाग ने तो मंजूरी दे दी है लेकिन केंद्र सरकार की स्वीकृति मिलनी अभी भी बाकी है। जेएनएनयूआरएम की शर्तों के मुताबिक केंद्र द्वारा वित्त पोषित परिसंपत्ति में किसी भी बदलाव के लिए शहरी विकास मंत्रालय से पूर्व मंजूरी की आवश्यकता होती है। इसी के साथ यदि केंद्र को लगता है कि राज्य मूल रूप से कॉरिडोर को बनाए रखने या फिर संचालित करने में सफल रहा है तो वह अपने 85 करोड रुपए के निवेश का एक हिस्सा या फिर पूरा हिस्सा वसूलने की कोशिश कर सकता है।

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