CM Bhajanlal Sharma: टोंक जिले के समरवता गांव में विधानसभा उपचुनाव के दौरान भड़की हिंसा में घायल और प्रभावित लोगों के लिए राजस्थान सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। राजस्थान सरकार ने वित्तीय सहायता को मंजूरी दे दी है। सरकार ने यह निर्णय राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट के बाद लिया है। उसे रिपोर्ट में जिम्मेदार प्रशासन और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई थी और साथ ही सरकार से 30 दिनों के भीतर जवाब भी मांगा गया था।
घायल ग्रामीणों के लिए मुआवजा
हिंसा के दौरान घायल हुए 7 ग्रामीणों को एक-एक लाख की सहायता राशि दी जाएगी। लाभार्थियों में संजय मीना (गुन्ना लाल का पुत्र), राजंती मीना (दयाराम की पत्नी), बलराम (आशाराम का पुत्र), फूलचंद (जगदीश का पुत्र), कजोड़ (छीतर का पुत्र), दिलहाग (प्रेमराज का पुत्र) और मीठालाल (रामनिवास का पुत्र) के नाम शामिल है। सरकार के इस कदम के बाद ग्रामीणों के चिकित्सा व्यय और रिकवरी को मदद मिलेगी।
संपत्ति को नुकसान के लिए भी सहायता
व्यक्तिगत चोटों के मुआवजे के अलावा सरकार संपत्ति के नुकसान के लिए भी वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। हिंसा में जले दो पहिया वाहनों के मालिकों को ₹30000 दिए जाएंगे। साथ ही चार पहिया वाहन मालिकों को एक-एक लाख रुपए दिए जाएंगे। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि जिन लोगों की चल और अचल संपत्ति को नुकसान हुआ है उन्हें 50000 और 250000 रुपए का अतिरिक्त मुआवजा भी दिया जाएगा।
एनसीएसटी रिपोर्ट और सरकार का जवाब
2 अप्रैल 2025 को अध्यक्ष निरुपम चमका की अगुवाई में राज्य सरकार को निष्कर्ष सौंपें गए थे। इस रिपोर्ट में घटना के दौरान पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के आचरण पर चिंता जताई गई थी। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि आयोग की रिपोर्ट में सब डिविजनल मजिस्ट्रेट पर ग्रामीणों को वोट देने को मजबूर करने का आरोप भी लगाया गया था। इसके बाद सरकार से इन आरोपों का 30 दिन के भीतर जवाब मांगा गया था और साथ ही दोषी अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की उम्मीद भी रखी गई थी।
ये भी पढ़ें- पूर्व भाजपा विधायक को टिप्पणी करना पड़ा भारी: राजस्थान में ज्ञानदेव आहूजा का हुआ पार्टी से निलंबन, जारी किया नोटिस