Sleep Divorce: आज के समय में डिवोर्स या तलाक लेना आम बात हो गई है। इसके अनेक मामले हम आए दिन देखते हैं। लेकिन समाज में एक अलग तरह के तलाक का चलन हो गया है जिसे स्लीप डिवोर्स कहा जाता है। इसमें कानूनी रूपी से तलाक नहीं होता बल्कि दंपती अलग - अलग रूम में सोते हैं। इस तरह के डिवोर्स का चलन राजस्थान सहित पूरे भारत में चल रहा है। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से…
क्या होता है स्लीप डिवोर्स?
खर्राटे, स्क्रीन की लत और अलग सोने की आदत ने इस तरह के डिवोर्स के मामले बढ़ा दिए हैं। दरअसल, स्लीप डिवोर्स ऐसा ही एक चलन है इसमें एक ही घर में रहते हुए कपल्स अलग - अलग बिस्तर या फिर कमरे में सोते हैं। इसमें कपल शरीरिक रूप से अलग हो जाते हैं लेकिन उनमें इमोशनल कनेक्शन बना रहता है।
भारत में तेजी से बढ़ रहे स्लीप डिवोर्स के मामले
रेसमेड के 2025 ग्लोबल स्लीप सर्वे के अनुसार, भारत में 78 फीसदी दंपती नियमित अंतराल पर स्लीप डिवोर्स ले रहे हैं। चीन में यह आंकड़ा 67 फीसदी और द. कोरिया में 65 फीसदी तक पहुंच गया है। मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, स्लीप डिवोर्स का मुख्य कारण तनाव, साथी के खर्राटे, असमान नींद शेड्यूल और सोने से पहले स्क्रीन का अत्यधिक उपयोग है।
अकेले सोने से मिलता है सुकून
हिल्टन नामक एक रिपोर्ट के अनुसार 63 फीसदी लोग अकेले सोने पर बेहतर नींद पाते हैं। वहीं, 24 फीसदी विवाहित जोड़े कभी-कभी अलग सोते हैं और 19 फीसदी हमेशा अलग सोना पसंद करते हैं। सर्वेक्षण में यह भी सामने आया कि छुट्टियों के दौरान 37 फीसदी लोग अपने पार्टनर से अलग सोना पसंद करते हैं।
क्यों होती है सोने में परेशानी?
रिपोर्ट की माने तो 32 फीसदी लोग खर्राटे और तेज साँस के चलते नहीं सो पाते, 12 फीसदी लोग बेचैनी, असमान नींद के चलते 10 फीसदी और स्क्रीन के उपयोग के चलते 08 फीसदी लोग नहीं सो पाते।
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राजस्थान में बढ़ रहा ट्रेंड
राजस्थान के अलग - अलग शहरों में भी ऐसे मामले बढ़ रहे हैं। जयपुर के खातीपुरा निवासी एक दंपत्ति ने स्लीप डिवोर्स का फैसला किया। इसमें पत्नी रात में काम करती है और पति को सुबह जल्दी ऑफिस जाना होता है। ऐसे में दोनों की नींद ख़राब होती है जिससे उन्होंने ऐसा फैसला लिया है।