Achalnath Temple Jodhpur: अपने बहुत सारे शिव मंदिरों में शिवलिंग देखी होगी और जलाभिषेक भी किया होगा। कहा जाता है महादेव का जलाभिषेक करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, लेकिन राजस्थान में शिव जी का एक ऐसा मंदिर है, जहां न तो कोई पूजा कर सकता है और न ही जल चढ़ा सकता है। यहां शिवलिंग के दर्शन से ही मनोकामना पूरी हो जाती है। यह मंदिर मेहरानगढ़ दुर्ग की पहाड़ियों से नीचे की तरफ तलहटी पर बना हुआ है। ये मंदिर लगभग 500 साल पुराना है। अचलनाथ महादेव मंदिर में महादेव की शिवलिंग खुद प्रकट हुई थी और यहां पर एक बावड़ी भी बन गयी थी।
सिर्फ नागा साधू ही करते हैं पूजा
बता दें कि इस मंदिर में सिर्फ साधु ही पूजा कर सकते हैं और जल भी चढ़ा सकते हैं। यहां पर पीले रंग की शिवलिंग है, जिसपर मंदिर के साथ मिली बावड़ी से ही जल चढ़ाया जाता है। पर्यटकों का इस बावड़ी के पास जाना मना है। इस मंदिर में सुबह के समय भस्म आरती होती है। इस आरती के दर्शन करने के लिए दूर- दराज से लोग आते हैं। कहा जाता है कि लगभग 500 साल पहले यहां पर एक गाय आकर दूध देती थी। इस जगह पर खुदाई की गयी और यहां से शिवलिंग मिली। इसके बाद साधु इस स्वयंभू शिवलिंग की पूजा अर्चना करने लगे।
इसका पता लगने के बाद उस समय के राजा गांगा और उनकी पत्नी ने यहां पर मंदिर बनवाया। कहा जाता है कि मंदिर बनाने के समय शिवलिंग को कुछ समय के लिए दूसरी जगह पर रखने का प्रयास किया गया था लेकिन सभी लोग महादेव की शिवलिंग उठा पाने या उसकी जगह से खिसका पाने में नाकामयाब रहे। शिवलिंग के अचल रहने के कारण ही इस मंदिर का नाम अचलनाथ मंदिर पड़ गया।
राजा को दी अपनी उम्र
इस मंदिर का निर्माण सन् 1531 में कराया गया था। इसका निर्माण उस समय के राजा गांगा और उनकी पत्नी ने कराया था। अचलनाथ की आराधना करने से राजा और रानी को संतान की प्राप्ति हुई थी। उस समय महंत चैनपुरी हुआ करते थे, वे एक भविष्यदर्शता थे। उन्होंने अपनी अंर्तदृष्टि से राजा राव गांगा को बताया था कि उनकी आयु मात्र 20 वर्ष ही है। तब उन्होंने दो अन्य महंतों के साथ तप किया था और अपनी आयु का समय राव गांगा को दे दिया था। इसी बात से प्रसन्न होकर राजा रावगांगा ने मंदिर की जिम्मेदारी महंतों को दे दी थी।
तब से इस मंदिर में महंत पूजा करते हैं। इस मंदिर में आने वाले भक्तों के लिए दूसरी शिवलिंग स्थापित की गई है, जिस पर भक्त जलाभिषेक करते हैं। सावन के महीने में यहां पर सबसे ज्यादा भीड़ होती है। इस मंदिर में शाम के समय साधु भस्म आरती करते हैं और इस आरती में बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं। यह मुख्य आकर्षण का केंद्र है।