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Mahavir Jayanti 2025: राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित बामनवाड़ा जैन मंदिर प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक बै। यहां आज भी उनके पैरों के निशान इस क्षेत्र के पत्थरों पर दिखाई देते है। माना जाता है कि भगवान महावीर ने इस क्षेत्र में विचरण किया था।

Mahavir Jayanti 2025: आज महावीर जयंती के अवसर पर हम बार करने जा रहे है राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित बामनवाड़ा जैन मंदिर की जो देश के चमत्कारी व प्रसिद्ध जैन मंदिरों और तीर्थ स्थलों में से एक है। मान्यता है कि यहां महावीर स्वामी ने अपने कानों में कील ठोके जाने का दर्द महसूस किया था। कहा जाता है कि आज भी उनके पैरों के निशान इस क्षेत्र के पत्थरों पर दिखाई देते है। इनकी पूजा करने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते है।
 
27 विभिन्न प्रतिभाओं में दिखाई देते है अलग-अलग भाव

इस पवित्र तीर्थ एक विशाल पहाड़ी पर फैला हुआ है। आसपास जंगल व हरी भरी पर्वत मालाएं इस इलाके को काफी शांत, सौम्य और आस्था से आलोकित करती है। भव्य मुख्य द्वार पर बनी हाथियों की मूर्तियां भक्तों का स्वागत करती है। खास बात यह है कि यहां भगवान महावीर की संगमरमर से तैयार की गई 27 विभिन्न मूर्तियां है, जो अलग-अलग भाव प्रकट करती है।

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इन मूर्तियों में सांसारिक मोह से मुक्ति का आनंदित भाव दिखाई पड़ता है। मूलनायक तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी की पद्मासन मुद्रा में विराजित है। लाल रंग की यह मूर्ति आंखों को असीम सुख प्रदान करती है।
 
मंदिर से जुड़ा इतिहास

माना जाता है कि भगवान महावीर ने इस क्षेत्र में विचरण किया था, इसी कारण से यह स्थान श्वेतांबर जैन श्रद्धालुओं के लिए प्रमुख तीर्थ है। साल 1292 में इस पहाड़ी पर जैन तीर्थ स्थल होने का पहली शिलालेख मिला था। साथ ही कुछ पुराने अवशेष भी मिले है। लगभग 46 साल पहले 1979 में इस स्थान का बड़े पैमाने पर जीर्णोद्धार किया गया था।
 
इस स्थान को भक्त जीवित स्वामी के रूप में मानते है। मान्यता के अनुसार भगवान महावीर स्वामी ने यहां प्रवास किया था और कानों में धकेली गई कीलों के दर्द का सामना भी किया था। इसी कारण से इस जगह को जीवित स्वामी के नाम से भी जाना जाता है।

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