Bhagwan Badrinath Temple Bikaner : भारत का कोना-कोना अपने अनोखे परंपरा के लिए प्रसिद्ध है। राजस्थान अपने अंदर अनोखी परंपरा को समेटे हुए। यहां स्थित हर मंदिर, किला और भवन कुछ ना कुछ अपना इतिहास या फिर अनोखे परंपरा के लिए जाना जाता है।ऐसे ही राजस्थान के बीकानेर में भगवान बद्रीनाथ का 210 साल पुराना मंदिर स्थित है। मंदिर तालाब के बीचों-बीचों स्थित है। देवीकुंड सागर में मंदिर स्थित है। आपने सुना होगा कि भगवान के दर्शन करने के लिए भक्त पैदल मंदिरों तक पहुंचते है। लेकिन यहां तो अलग ही है भगवान के दर्शन के लिए सबको तैर कर जाना पड़ता था। इसे बीकानेर की छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है। हर साल हजारों की संख्या में भक्त यहां आते हैं।
सैकड़ों साल पुराना है यह मंदिर
मंदिर का निर्माण बीकानेर के महाराजा सूरत सिंह ने करवाया था। उसे समय बीकानेर के तत्कालीन महाराज सूरत सिंह रहे। 210 साल पुराना यह मंदिर है। मंदिर परिसर में 6 मंदिर मौजूद है। भगवान बद्रीनाथ के साथ-साथ भगवान विष्णु ,कुबेर जी, नारद जी, और नर-नारायण की मूर्तियां है।
अब तैर कर नहीं पैदल जा सकते हैं भक्त दर्शन के लिए
इस मंदिर में अब दर्शन के लिए भक्त तैयार कर नहीं पैदल ही जाते है। अब तालाब का पानी सूख गया है। आज भी भक्तों के मन में भक्ति तरकर पूजा करने जाते थे बसी हुई है। यही मंदिर की विशेषता भी है।
हर मनोकामना होती है पूर्ण
स्थानीय लोगों का मानना है कि जो भी भक्त सच्चे मन से मनोकामना मांगते हैं उनकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। मन्नत मांगने के लिए दूर-दूर से भक्त यहां आते हैं। भगवान बद्रीनाथ का मंदिर बीकानेर की संस्कृति का उदाहरण है। समय-समय पर मंदिर का जीर्णोद्धार देवस्थान विभाग द्वारा करवाया जाता है। भगवान बद्रीनाथ मंदिर आज भी भक्तों में आस्था का प्रतीक बना हुआ है।
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