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Bhilwara: राजस्थान के भीलवाड़ा में काली मां का एक ऐसा मंदिर है, जहां दिन में नहीं बल्कि रात मे उनकी पूजा की जाती है। यहां माता रानी श्मशान में विराजमान हैं।

Bhilwara: भारत को मंदिरों की धरोहर भी माना जाता है। हमारे देश के हर कोने में आपको पुराने मंदिर,पुरानी धरोहरें देखने को मिल जाती हैं। हर मंदिर की अपनी अलग महत्वता है। यूं तो आपने बहुत सारे मंदिर देखे होंगे और वहां की खासियत भी सुनी होगी। आज हम आपको काली मां के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपने आप मे ही बेहद खास है। ये मंदिर राजस्थान के भीलवाड़ा में है। ये मंदिर श्मशान घाट में बना हुआ है, जिसे श्मशान काली के नाम से भी जाना जाता है। 

रात में भी श्मशान जाते हैं लोग

वैसे तो लोग दिन में भी श्मशान घाट जाने से डरते हैं लेकिन इस मंदिर में रात के समय भी भक्तों की लंबी कतार लगी रहती है। यहां दूर दराज से भी भक्त मनोकामनाएं लेकर पहुंचते हैं। कहा जाता है कि महिलाएं श्मशान नहीं जातीं लेकिन यहां वो बच्चों के साथ भी आती हैं। अर्धरात्रि मे यहां पर कई अनुष्ठान भी किये जाते हैं। इतना ही नहीं लोग नशा छुड़वाने के लिए भी यहां आते हैं। 

रुद्राक्ष लेने से छूट जाता है नशा

लोगों का मानना है कि अगर कोई व्यक्ति नशे का आदि है तो माता का रुद्राक्ष लेने से ही कुछ दिनों मे वो नशा छोड़ देता है। वहां के लोगों की मानें तो भीलवाड़ा के पंचमुखी मोक्षधाम में स्थित मसानिया भैरूनाथ मंदिर में 7 साल पहले ही मां काली की मूर्ति कलकत्ता के कालीगढ से आई है। बता दें कि इस मंदिर में दिन में काली मां की पूजा नहीं की जाती बल्कि आधी रात में की जाती है। इस पूजा को देखने के लिए दूर- दूर से भक्त आते हैं। इसमें पुरुष, महिला और बच्चे सब शामिल होते हैं। 

निसंतानो को होती है संतान की प्राप्ति

मान्यता है कि अगर किसी महिला को संतान नहीं होती है तो वो माता के मंदिर में आकर पूजा करें और माता पर चढ़ाया गया श्रीफल अपने साथ लेकर जाएं तो उन्हे जल्द ही संतान की प्राप्ति भी होती है। इसके अलावा जो भी भक्त अपनी परेशानियां लेकर माता रानी के दर पर आता है, उन परेशानियों को माता जल्द ही दूर कर देती हैं।

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