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Brahma Ji Temple: ब्रह्माजी का यह एकलौता मंदिर है, जो राजस्थान के पुष्कर शहर में स्थित है। भगवान ब्रह्मा का यह प्राचीन मंदिर का निर्माण 14 वीं शताब्दी में किया गया था।

Brahma Ji Temple: भारत में कई देवी देवाताओं के प्राचीन मंदिर बने हुए हैं, लेकिन इस धरती की रचना करने वाले ब्रह्म देव के पूरी दुनिया में बहुत कम मंदिर है। भारत की बात करें तो यहां केवल एक ब्रह्मा मंदिर है, जो राजस्थान के पुष्कर शहर में स्थित है। आज इस आर्टिकल में हम आपको देश के एकलौते ब्रह्मा मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य बताएंगे। 

मंदिर से जुड़ा इतिहास 

भगवान ब्रह्मा का यह प्राचीन मंदिर का निर्माण 14 वीं शताब्दी में किया गया था। इस मंदिर की खास बात यह है कि इसके अंदर आपको एक कछुआ दिखाई देगा बताया जाता है कि यह असली चांदी से बनाया गया है। इसके साथ कई आगंतुकों द्वारा किए गए दान किए गए चांदी के सिक्के भी आपको यहां दिखाई देंगे। मंदिर के गर्भगृह में ब्रह्माजी जी के साथ उनकी दुल्हन गायत्री की भी मूर्ती है। 

सिर्फ पुष्कर में ही क्यों होती है ब्रह्मा जी पूजा 

एक पौराणिक कथा के मुताबिक एक बार धरती की शांति के लिए ब्रह्मा जी ने यज्ञ करने का विचार किया। इसके लिए जब जगह का चयन करने का समय आया तब उन्होंने अपने कमल में से एक पत्ता धरती पर फेंका जहां कमल का पत्ता गिरेगा वहीं यज्ञ किया जाएगा। यह कमल राजस्थान के पुष्कर में आकर गिरा जिसके बाद उस जगह पर एक तलाब बन गया। यज्ञ के लिए सभी तैयारी की गई और सारे देवी-देवाताओं को आमंत्रित किया गया। जब वे यज्ञ में बैठे तब उनकी पत्नी गायत्री ने आने में समय लगा दिया।

यज्ञ का महूरत बिताता जा रहा था जिसके बाद ब्रह्मा जी नंदिनी गाय के मुंह से गायत्री को प्रकृट किया और उसके साथ ही यज्ञ में बैठ गए। जब गायत्री ने ब्रह्मा जी को किसी और स्त्री के साथ यज्ञ करते हुए देखा, तो उन्हें श्राप दिया था कि इस संसार में आपकी कभी पूजा नहीं की जाएंगी। सभी देवी-देवताओं ने गायत्री के क्रोध को शांत कराया और उनसे श्राप वापस लेने को कहा जिसके बाद गायत्री ने कहा कि केवल पुष्कर के इस मंदिर में आपको पूजा जाएगा। 

पाड़वों ने बनवाया था श्री पंचकुंड शिव मंदिर

पुष्कर शहर में बना पंचकुंड शिव मंदिर पाड़वों द्वारा स्थापित किया गया था। भगवान शिव का यह मंदिर पुष्कर के पूर्वी किनारे पर बनाया गया है। माना जाता है कि यहां भगवान भोले से मांगी सभी मनोकामना पूरी होती है। शिवरात्री और श्रावण जैसे खास अवसरों पर यहां भक्तों की भारी भीड़ जमा होती है।

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