Brahmani Mata Mandir: दुनियाभर के देवी मंदिरों में नवरात्रि की शुरुआत प्रथम दिन से होती है, लेकिन नागौर जिले का एक प्राचीन मंदिर ऐसा है, जहां पर नवरात्रि की शुरुआत अमावस्या के दिन से ही होती है। हमारे हिंदू धर्म में वर्ष में दो बार नवरात्रि आते हैं, चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि, जब माता रानी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
भक्त भी रखते हैं माता के साथ व्रत
यहां पर आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या से ही घटस्थापना हो जाती है। इससे भी खास यह बात है कि अगले 7 दिन तक श्रद्धालु बिना कुछ खाए पिए केवल चरणामृत से माता एवं व्रत रखते हैं। नवरात्र के समय भक्ति गर्भ ग्रह में ही रहकर माता की उपासना करते हैं। अमावस्या से छठे दिन तक मंदिर में भोग भी नहीं लगता, इन सातों दिनों में मंदिर के गर्भ ग्रह की परिक्रमा करने की भी अनुमति नहीं है।
अमावस्या पर क्यों होती है घट स्थापना?
ऐसा होने के पीछे एक प्राचीन कहानी है, कहा जाता है की प्रतिपदा के दिन मुस्लिम समुदाय के लोगों ने यहां पर हमला कर दिया था। इस लड़ाई में 80 पंडित लड़ते-लड़ते वीरगति को प्राप्त हो गए, उसके बाद से प्रथम दिन को शोक दिवस के रूप में बनाया जाता है। मंदिर में इन नवरात्रि के दिनों में चार बार आरती होती है, पहली आरती सुबह 4:00 दूसरी सुबह 10:00 तीसरी शाम को 7:00 और रात्रि की आरती 10:00 को खत्म होती है। सप्तमी के दिन ब्राह्मण परिवार के द्वारा यहां पर प्रसाद चढ़ाया जाता है। पंचमी की रात 10:00 बजे वाली आरती में यह कार्य तय होता है।
ये मूर्तियां भी मंदिर परिसर में हैं
नवरात्रि के समय दूर-दूर से श्रद्धालु मंदिर पहुंचते हैं, जिसमें जादू मालिनी ओझा गोत्र श्रद्धालु ज्यादा आते हैं , क्योंकि माता ब्राह्मणी उनकी कुलदेवी हैं। यह भी माना गया है कि बिना माता की मंजूरी के बिना कोई भक्त गर्भ में नहीं बैठ सकता है। गगरी में माता ब्रह्माणी की दो प्रतिमाएं हैं और गणेश जी, काला भेरू व गोरा भेरू की प्रतिमा मंदिर में स्थित है। यहां पर माता रानी का अखंड ज्योत भी जलता है, मंदिर परिसर के ठीक बाहर आने वाले भक्तों के लिए 100 कमरे भी बने हुए हैं।
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