Churu: हमारे देश की मान्यता हमें किसी न किसी इतिहास से जोड़ती हैं। कई बार हमारे पास मान्यताओं के प्रमाण नहीं होते लेकिन हमारे बुजुर्ग उन्हें मानते रहे हैं और कथाएं भी सुनाते रहे हैं। आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताएंगे जिसे शापित गांव कहा जाता है और यहां की कहानी भी काफी प्रचलित है। हम बात कर रहे हैं राजस्थान के चुरू के उडसर गांव की, जहां की मान्यता है कि यहां पर अगर कोई भी व्यक्ति अपने घर की दूसरी मंजिल बनवाता है तो उसे काफी नुकसान होता है।
राजस्थान का चुरू
वैसे तो राजस्थान का चुरू जिला अपनी अलग पहचान रखता है। वहां के मौसम का मिजाज ही अलग है। सर्दियों में यहां बर्फ की चादर तो गर्मियों मे पारा 50 के ऊपर हो जाता है। इसके अलावा इस जिले मे एक गांव है उडसर, जो काफी प्रचलित है। इस गांव को श्रापित माना जाता है। कहा जाता है कि इस गांव में कोई भी दूसरी मंजिल पर मकान नहीं बनवा सकता।
क्यों माना जाता है श्रापित
अगर गांव के लोगो की माने तो 700 सालों से की भी व्यक्ति उडसर गांव मे अपने घर की दूसरी मंजिल नहीं बनवा पाया है। जिसने भी दूसरी मंजिल बनाने की कोशिश की, उसके साथ कुछ न कुछ गलत घटित हुआ। इस श्राप के पीछे एक कहानी काफी प्रचलित है। यह कहानी एक गौभक्त भोमिया से जुड़ी हुई है।
गौभक्त भोमिया कैसे बने लोकदेवता
कहा जाता है कि भोमिया नाम का एक व्यक्ति था, जो बहुत बड़ा गौभक्त था। पास के ही गांव आसपालसर में उसका ससुराल था। एक समय की बात है गांव मे कुछ लुटेरे आ गए और गायों को चुरा कर ले जाने लगे। भोमिया जी गायों को बचाने गए जहां लुटेरों से उनका युद्ध हुआ, जिसमें वे गंभीर रूप से घायल होगए। उन्होंने गायों को बचा लिया और लुटेरों से बचकर वो घायल अवस्था में अपनी ससुराल आ गए। वे ससुराल मे घर की दूसरी मंजिल पर जाकर छुप गए।
उडसर मे जा गिरा धड़
भोमिया की तलाश मे लुटेरे उनकी ससुराल पहुंच गए और ससुराल वालों को प्रताड़ित करने लगे। वे लोग प्रताड़ना नहीं झेल पाए और उन्होंने लुटेरों को बात दिया कि भोमिया छत पर छिपे हैं। लुटेरों ने भोमिया को छत पर बने कमरे से बाहर निकाला और उनका सर धड़ से अलग कर दिया। कहा जाता है कि भोमिया अपने सिर को हाथ में लिए हुए लुटेरों से लड़ते रहे। लड़ते हुए वो गांव की सीमा पर आ गए। भोमिया का धड़ दूसरे गांव उडसर में जा गिरा जहां उनका मंदिर बनाया गया।
पत्नी ने दिया श्राप
जब भोमिया की पत्नी को इस घटना के बारे मे पता चला तो उन्होंने गांव वालों को श्राप दिया कि घर की दूसरी मंजिल पर अगर किसी ने मकान या मालिया बनाया तो उसका नाश हो जाएगा। उसके बाद भोमिया की पत्नी ने अपनी तपस्या के बल पर शरीर त्याग दिया। तब से आस्था है कि गांव मे जिसने भी घर पर दूसरी मंजिल बनाई उसे भरी नुकसान हुआ। तब से लोगों ने भोमिया को लोक देवता मान लिया और आज भी उनकी पूजा करते हैं और इस श्राप को मानते हैं।