Dilwara temple: आपने हमेशा सुना होगा कि ताजमहल आगरा में है लेकिन अगर हम कहें कि ताजमहल राजस्थान में भी है, तो आप क्या कहेंगे? दरअसल हम बात कर रहे हैं राजस्थान के ताजमहल कहे जाने वाले दिलवाड़ा मंदिर की जो पांच मंदिरों का समूह है। इस मंदिर में सफेद मार्बल का इस्तेमाल किया गया है और इसकी वास्तुकला की खूबसूरती अद्भुत है।
दिलवाड़ा श्रृंखला का पहला मंदिर
बता दें कि राजस्थान के ऐसे पांच मंदिरों के समूह वाले दिलवाड़ा मंदिर को 11वीं और 13वीं शताब्दी के दौरान बनाया गया था। या मंदिर जैन धर्म के तीर्थकारों को समर्पित है। दिलवाड़ा मंदिर की श्रृंखला का सबसे पहला मंदिर विमल वसाही मंदिरों है। इसे गुजरात के चालुक्य राजा भीम प्रथम के मंत्री विमल साह ने बनवाया था इसलिए इसका नाम विमल वसाही पड़ गया। इसे 1031 ईसवी में बनाया गया था जो जैन संत आदिनाथ को समर्पित है। आदिनाथ की मूर्ति में असली हीरे की आँखें बनाई गयी हैं और बहुमूल्य रत्नों से श्रृंगार किया जाता है।
दूसरा मंदिर लूना वसाही
दिलवाडा मंदिर की श्रृंखला का दूसरे मंदिर का नाम लूना वसाही है जिसमें छोटे- छोटे 360 तीर्थकारों की मूर्तियां हैं। मंदिर का रंग मंडप और मंदिर की हाथीशाला में बने हाथी भी बेहद खूबसूरत हैं। इसका निर्माण 1203 में पोरवाड भाईयों तेजपाल और वस्तुपाल ने बनवाया था।
तीसरा मंदिर पीतलहर
पीतलहर मंदिर दिलवाड़ा मंदिर की श्रृंखला का तीसरा मंदिर है, यह भगवान ऋषभदेव को समर्पित है। इस मंदिर में जो ऋषभदेव की पंच धातु से निर्मित मूर्ति है, उसका वजन 4 हजार किलो है, जिसमें सैकडों किलो सोना इस्तेमाल किया गया है। से राजस्थान के भामाशाह ने बनवाया था।
चौथा मंदिर पार्श्वनाथ को समर्पित
बता दें कि दिलवाड़ा मंदिर की श्रृंखला में चौथा मंदिर पार्श्वनाथ मंदिर है, जो सबसे ऊंचा मंदिर है। इसका निर्माण 1458- 59 में हुआ था। या मंदिर तीन मंजिल बना हुआ है।
भगवान महावीर को समर्पित है पांचवा मंदिर
दिलवाड़ा मंदिर की श्रृंखला में पांचवा और अंतिम मंदिर महावीर स्वामी मंदिर है, जो भगवान महावीर को समर्पित है। इसका निर्माण सन 1582 मे किया गया था। इस मंदिर की खूबसूरत नक्काशी सन् 1764 में सिरोही के कलाकारों ने की थी। इसकी खूबसूरती देख लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।