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Ekling Nath Ji Temple: राजस्थान के एकलिंग नाथ जी मंदिर को लेकर भक्तों में काफी आस्था है। कहा जाता है कि वो आज भी मेवाड़ के 'राजा' के रूप में लोगों की रक्षा करते हैं और उनके दर्शन मात्र से ही सारी मनोकामना पूरी हो जाती हैं। 

Ekling Nath Ji Temple: आज पूरा देश महाशिवरात्रि के पर्व में डूबा हुआ है। मंदिरों में लंबी कतारों में भक्त अपने आराध्य की पूजा-अर्चना करने के लिए इंतजार कर रहे हैं। ये तो हम सभी जानते हैं कि महादेव अनादि से अनंत काल तक धरती पर हैं और अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि राजस्थान में एकलिंग नाथ जी में विराजमान महादेव भक्तों की रक्षा तो करते ही हैं, साथ ही उनके काम भी पूरे कराते हैं। 

कुल देवता के रूप में पूजे जाते हैं महादेव

मेवाड़ के पूर्व महाराजाओं और यहां की प्रजा द्वारा भगवान एकलिंग नाथ को कुल देवता के रूप में पूजा जाता है। कहा जाता है कि पुराने समय में जब भी कोई राजा युद्ध लड़ने के लिए जाता, तो उससे पहले वो भगवान एकलिंग नाथ जी के मंदिर जरूर जाता था। उदयपुर के एकलिंग नाथ महादेव को मेवाड़ का महाराणा कहा जाता है। कहा जाता है कि यहां पर मेवाड़ के महाराणा (महादेव) खुद को दीवान मानकर राज कार्य संपन्न करते हैं। बप्पा रावल के काल से एकलिंग नाथ जी को मेवाड़ का राजा माना जाता है। स्थानीय लोगों की मानें, तो सदियों से होता आया है कि महादेव खुद को दीवान मानकर राज कार्य कराते हैं। जब युद्ध क्षेत्र में लड़ाई लड़ने के दौरान राजा की जीत होती थी, तो युद्ध के मैदान में मेवाड़ के स्वामी एकलिंग नाथ जी के नारे गूंजते थे। 

दर्शन मात्र से ही पूरी हो जाती है मनोकामना

उदयपुर के एकलिंगनाथ जी के मंदिर में भगवान एकलिंग नाथ अधिपति के रूप में पूजा-अर्चना की जाती है। यहां दूर-दराज से लोग भगवान महादेव के दर्शन करने आते हैं। कहा जाता है कि यहां भगवान के दर्शन मात्र से ही भक्तों की सारी परेशानियां खत्म हो जाती हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इस मंदिर में चौमुखी शिवलिंग विद्यमान हैं। इसमें चार मुख हैं, जिनमें ब्रह्मा, विष्णु, महेश और सूर्य विराजमान हैं। 

कहां है एकलिंगनाथ जी मंदिर

बता दें कि उदयपुर से लगभग 22 किमी और नाथद्वारा से लगभग 26 किमी दूर कैलाशपुरी नाम की जगह है। जहां पर एकलिंग नाथ जी का मंदिर विराजमान है। ये मंदिर देश ही नहीं दुनिया में भी प्रसिद्ध है। हर साल लाखों की संख्या में लोग दर्शन पूजन करते हैं। मंदिर के द्वार सुबह 4 बजे से 6.30 बजे तक खुले रहते हैं। इसके बाद 10.30 बजे से दोपहर 1.30 बजे तक मंदिर खुलता है। वहीं शाम को 5.30 बजे से रात 8.00 बजे तक मंदिर में भक्त दर्शन कर सकते हैं।

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