Famous Temples of Rajasthan: राजस्थान भारत का एक ऐसा राज्य है, जहां कई बड़े हिंदू तीर्थ स्थल मौजूद हैं। खासकर मेहंदीपुर बालाजी का नाम तो हर किसी ने ही सुन रखा है। राजस्थान के कुछ तीर्थ स्थल इतने प्रसिद्ध हैं कि यहां देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर से लोग मन्नत मांगने आते हैं। आईए जानते हैं राजस्थान के इन्हीं प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में जो न सिर्फ राजस्थान की पर्यटन उद्योग को बढ़ाने में सहायक हैं, बल्कि आस्था के एक बड़े प्रतिरूप भी माने जाते हैं।
करणी माता मंदिर
चूहा वाला मंदिर के नाम से प्रसिद्ध करणी माता मंदिर बीकानेर जिले के देशनोक में स्थित है। यह मंदिर करणी माता देवी को समर्पित है, जिन्हें दुर्गा का अवतार कहा जाता है। इस मंदिर को 15वीं सदी में महाराजा गंगा सिंह द्वारा बनवाया गया था। अगर बात वास्तुकला की की जाए तो मंदिर में संगमरमर के सुंदर द्वार और चांदी के जाले बने हुए हैं।
इस मंदिर में बहुत अधिक संख्या में चूहे पाए जाते हैं। करणी माता मंदिर में करीब 25,000 काले चूहे रहते हैं, जिन्हें यहां काबा के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा, यहां सफेद चूहे भी देखने को मिल जाते हैं। यहां आने वाले लोगों का मानना है कि सफेद चूहों का दिखना विशेष महत्व रखता है क्योंकि इन्हें शुभ माना जाता है।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर
हनुमान जी के बालाजी रूप को समर्पित मेहंदीपुर बालाजी मंदिर भूत-प्रेत बाधाओं से मुक्त करवाने के लिए प्रसिद्ध है। यहां जो भक्त जाते हैं, वे अपनी शारीरिक और मानसिक परेशानियों से मुक्ति प्राप्त करने के लिए आते हैं।
इस मंदिर में मुख्यतः तीन देवता पूजे जाते हैं—बालाजी, भैरव बाबा, और प्रेतराज सरकार। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की आरती और भोग अनुष्ठान अत्यधिक शक्तिशाली माने जाते हैं। यह मंदिर उन भक्तों के लिए प्रसिद्ध है जो नकारात्मक ऊर्जाओं से प्रभावित हो चुके होते हैं।
ब्रह्मा मंदिर पुष्कर
विश्व में बहुत कम ब्रह्मा मंदिर हैं और इन मंदिरों में से एक प्रमुख मंदिर है पुष्कर का ब्रह्मा मंदिर। यह मंदिर भगवान ब्रह्मा को समर्पित है। इस मंदिर में ब्रह्मा जी की चार मुख वाली मूर्ति स्थापित है। 14वीं सदी में निर्मित यह मंदिर पुष्कर झील के पास स्थित है, जो सनातन धर्म में अत्यंत पवित्र मानी जाती है।
माना जाता है कि इसे ब्रह्मा जी द्वारा राक्षस वज्रनाभ का वध करने के पश्चात स्थापित किया गया था। इस क्षेत्र में कार्तिक पूर्णिमा के दिन विशाल मेले का आयोजन किया जाता है और हजारों की संख्या में यहां भीड़ उमड़ती है।
एकलिंगजी मंदिर उदयपुर
उदयपुर से 22 किलोमीटर दूर कैलाशपुरी में स्थित एकलिंगजी मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर में भगवान शिव की चार मुख वाली मूर्ति स्थापित है, जो शिवजी के चार रूपों का प्रतीक है। आठवीं सदी में निर्मित यह मंदिर मेवाड़ के शासकों का आराध्य स्थल रह चुका है।
इस मंदिर का निर्माण सफेद संगमरमर और ग्रेनाइट से किया गया है और यहां भगवान शिव के वाहन नंदी जी की दो बड़ी मूर्तियां भी स्थापित हैं। शिव भक्तों के लिए यह मंदिर अत्यंत पवित्र मानी जाती है और इतिहास में मेवाड़ के राजा इसे अपना संरक्षक देवता भी मानते थे।
श्री सांवलियाजी मंदिर चित्तौड़गढ़
चित्तौड़गढ़ के पास मंडफिया में स्थित श्री सांवलियाजी मंदिर भगवान कृष्ण के सांवले स्वरूप को समर्पित है। यहां आने वाले भक्त इन्हें माधव या सांवला श्याम के नाम से भी जानते हैं। इस मंदिर को मध्यकालीन काल में खोजा गया था, जब यहां खुदाई के दौरान सांवलियाजी की मूर्ति मिली। इसके पश्चात इस मूर्ति को यहां स्थापित किया गया।
यह मंदिर राजस्थान के उन मंदिरों में से एक है जो सबसे ज्यादा धनवान मंदिर माने जाते हैं। जन्माष्टमी और कृष्ण से संबंधित त्योहारों पर हजारों की संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि यहां जो भी मनोकामना की जाए, वह अवश्य पूरी होती है।