Gangu Kund Mewar: शाही राज्य राजस्थान की रियासत दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यहां मेवाड़ की सबसे पुरानी रियासत भी मशहूर है। यहां पर स्थित आहड़ नदी के तट पर प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता के कुछ अहम सबूत भी मिले हैं। यह सबूत करीब 3 हजार साल पुरानी बताई जाती है। आज हम आपको गंगू कुंड के बारे में विस्तार से बताएंगे, जिसको लेकर ऐसी मान्यता है कि यह गंगा का स्वयं उद्गम स्थल है। यह स्थान आज भी बेहद पवित्र मानी जाती है। मेवाड़ में स्थित प्रसिद्ध शिव जी का मंदिरों कांवड़ यात्रा करने पर जेल भी होती है, वह भी इसी कुंड से भरकर देवों के देव महादेव पर अर्पित किया जाता है।
यहां हुआ था मां गंगा का उद्गम
राजस्थान के मेवाड़ में स्थित यह पवित्र जगह मां गंगा का उद्गम स्थल के रूप में भी जाना जाता है। भगवान शिव पर जल चढ़ाने के लिए लोग यहीं से कांवड़ में जल भरते हैं। हरेक वर्ष भारी संख्या में भक्त यहां से कांवड़ यात्रा की शुरुआत करते हैं। यहां से गंगाजल लेकर अनेकों शिव मंदिर में भक्त पहुंचते हैं।
राजा गंधर्व से जुड़ा है इतिहास
इस जगह के इतिहास को लेकर यह बताया गया है कि राजा गंधर्व जब शुक्र और हुंड राज्यों से पराजित हो गए थे, तब उन्होंने पश्चिम दिशा की ओर अपना रास्ता मोड़ लिया था। उस समय राजा गंधर्व ने गंगा माता से एक वरदान मांगा था कि उनकी चिंता की अग्नि स्नान होगी, जब राजा गंधर्व के चिंता पर जल डाला जाएगा। लेकिन उनकी चिंता करीब 7 दिनों तक ऐसी ही जलती रह गई।
इसके बाद राजा विक्रमादित्य ने गंगा का आह्वान किया और चिंता का अग्नि स्नान शांत पड़ गई। उस घटना के बाद विक्रमादित्य द्वितीय ने गंगा को इसी स्थान पर रहने के लिए विनती किया। उसी समय से यहां के कुंड में सालों भर पानी भरा हुआ रहता है। भीषण गर्मी पड़ने के बाद भी इस कुंड का पानी नहीं सूखता है। यहां पर भारी संख्या में भक्त आते हैं और पूजा अर्चना करते हैं।