Garh Ganesh Temple Jaipur: हिंदू धर्म में कोई भी का या पूजा करने से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। ऐसे में आप अपने आसपास और देश के कई सारे गणेश मंदिर गए होंगे। आपने वहां दर्शन भी किए होंगे, जिनमें गणेश जी की सूंड होती है और एक तरफ का दांत भी टूटा होता है। आज हम आपको एक ऐसे गणेश मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी सूंड ही नहीं है। हम बात कर रहे हैं राजस्थान की राजधानी जयपुर की अरावली पहाड़ियों पर स्थित गढ़ गणेश मंदिर की। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां चिट्ठी पर लिखकर अपनी समस्या गणेश जी को बताने से परेशानी दूर हो जाती है।
क्या है मंदिर का इतिहास
गणेश जी का गढ़ गणेश मंदिर जयपुर की अरावली पहाड़ियों पर स्थित है। दूर से देखने पर यह पहाड़ों पर मुकुट जैसा नजर आता है। मंदिर तक पहुंचने के लिए 500 मीटर ऊंची चढ़ाई चढ़नी होती है। इस मंदिर का इतिहास लगभग 290 साल पुराना है। कहा जाता है कि 18वीं शताब्दी में राजा सवाई जयसिंह ने की थी। मंदिर में मूर्ति स्थापना करने के लिए गुजरात के पंडितों को बुलाया गया था और अश्वमेघ यज्ञ कर विधि विधान से मूर्ति स्थापना कराई गई थी। इस मंदिर कर निर्माण के बाद ही जयपुर शहर की नींव रखी गयी थी। इस मंदिर में गणेश जी की मूर्ति उत्तर दिशा में स्थापित की गई है। कहा जाता है कि ऐसा इसलिए किया गया ताकि गणेश जी पूरे जयपुर पर नजर रख सकें।
क्या है मंदिर की खासियत
इस मंदिर में साल के 365 दिन के अनुसार 365 सीढियाँ ही हैं। ये सीढियां साल के दिन को आधार मान कर बनाई गयी थी। गढ़ गणेश मंदिर पहुंचने के रास्ते में एक शिव मंदिर भी है। इस मंदिर में शिव जी पूरे परिवार के साथ विराजमान हैं। इस मंदिर के परिसर में मूसकराज की भी दो मूर्तियां हैं। इन मूर्तियों के कान में भक्त अपनी मनोकामनाएं बताते हैं। कहा जाता है कि मूषक राज भक्तों की समस्या सुनकर गणेश जी तक पहुंचाते हैं। इस मंदिर में काफी दूर-दूर से भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं।
भक्तों में मान्यता
इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि अगर किसी व्यक्ति के जीवन में समस्या चल रही है या वो कोई मनोकामना पूरी कराना चाहते हैं तो चिट्ठी में लिखकर गणेश जी के मंदिर में चढ़ाने से उनकी समस्या दूर हो जाती है और मनोकामना भी पूरी होती है। इसके अलावा गणेश जी के पास चिट्ठियों में शादी के कार्ड के जरिए शादी में शामिल होने का निमंत्रण भी आता है। कहा जाता है कि गणेश जी भक्तों की शादी में जाकर आशीर्वाद देते हैं और शादी को सही ढंग से संपन्न कराते हैं।