Govind Dev Ji Temple: राजस्थान के जयपुर में स्थित भगवान श्रीकृष्ण का गोविंद देव मंदिर में रखी मूर्ति कोई साधारण प्रतिमा नहीं, बल्कि केवल भगवान कृष्ण के पपौत्र वज्रनाभ जी ने बनवाई थी। बता दें कि वज्रनाभ जी भगवान कृष्ण के बेटे अनिरुद्ध को पुत्र थे।
दुनियाभर से भक्त यहां गोविंद जी के दर्शन आते हैं। आम दिनों में तो यहां भक्तों भीड़ देखने को मिलती ही है, लेकिन कृष्ण जन्माष्टमी जैसे खास मौकों पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यह मंदिर बिना शिखर के बना हुआ है।
कैसे बनाई गई थी प्रतिमा
श्रीकृष्ण के पपौत्र वज्रनाभ ने अपनी दादी से पूछा था कि भगवान कैसे दिखते थे। जैसे जैसे दादी ने भगवान का वर्णन किया उसी प्रकार वे मूर्ति को बनाते गए। पहली मूर्ति बनाने के बाद उन्हें लगा की प्रतिमा के पैर सही तरीके से नहीं बने हैं। इसके बाद उन्होंने दूसरी मूर्ति बनाई जिसमें पैर और शरीर दोनों सही बन गए थे लेकिन फिर भी मूर्ति श्रीकृष्ण जैसी नहीं लग रही थी।
मूर्ति बनाने के बाद उन्होंने पहली मूर्ति का नाम मदन मोहन जी रखा था, यह मूर्ति आज के समय में करौली में विराजित है वहीं दूसरी मूर्ति का नाम गोपिनाथ जी रखा था जो पुरानी बस्ती जयपुर में विराजित है। उनके द्वारा बनाई गई तीसरी मूर्ति को देखकर दादी ने कहां था कि यह मूर्ति श्रीकृष्ण जैसी है, इसी मूर्ति को गोविंद जी की प्रतिमा के रूप में मंदिर में स्थापित किया गया है।
राधा रानी के नहीं दिखते हैं पैर
मंदिर में स्थित राधा रानी की मूर्ति के पैर हमेशा ढके रहते है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि राधा रानी के चरण काफी दुर्लभ हैं और जो भी व्यक्ति इनके दर्शन कर लेता है उसका जीवन सफल हो जाता है। जन्माष्टमी पर या फिर राधाष्टमी के दिन चरणों को कुछ समय के लिए खुला रखा जाता है।
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