Hanuman Statue: वैसे तो भारत में कई ऐसे हनुमान मंदिर हैं, जो अलग-अलग पत्थरों से बनाए गए हैं। डीग के जल महल में विराजमान हनुमान जी की प्रतिमा अपने आप में एक अद्भुत रूप लिए हुए है। हनुमान जी के प्रतिमा अफगानिस्तान से मंगाए गए हकीक नाग शीला से निर्मित है। या करीब 450 वर्ष पुरानी है, जिसमें हनुमान जी के कई सारे स्वरूप देखने को मिलते हैं। डीग डीआईजी के जल महल में स्थित हनुमान जी के प्रतिमा एक कमरे में है, जहां दर्शन करने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
7 फीट ऊंची है हनुमान जी की प्रतिमा
यहां के पुजारी का कहना है कि हनुमान जी की अस्तित्व प्रतिमा करीब सात फीट ऊंची है और यह अफगान हकीक नग शैली से बनाई गई है। हकीक नाग जैसा पत्थर है, जो काफी कीमती होता है। इसके नाग को अंगूठी में डालकर पहना जाता है जो शुभ माना जाता है। इसे लेकर ऐसा मानना है कि यह करीब 450 वर्ष पुरानी बताई जाती है। यहां के महाराजा सवाई बृजेंद्र सिंह ने डीग के जल महल में गोपाल भवन क्या दक्षिणी भाग में मूर्ति की स्थापना कराई गई है।
कंधे पर बैठे हैं राम और लक्ष्मण
यहां पर हनुमान जी की मूर्ति के दर्शन कई रूप में होते हैं। जब राम और उनके भाई लक्ष्मण को अहिरावण अपहरण कर पाताल लोक ले गया था तो उन्हें लेने हनुमान जी वहीं आए थे। इस मंदिर की प्रतिमा में हनुमान जी के कंधों पर राम लक्ष्मण है और उनके हाथ में गदा है। साथ ही पैरों पर हनुमान जी ने पाताल भैरवी को दवा रखा है। वहीं दूसरी हाथों में उन्होंने संजीवनी बूटी ले रखी है।
हनुमान जी के मूर्ति में दिखती है उनकी नसें
हनुमान जी की मूर्ति को बिहारी खास तरीके से बनाया गया है। जिस तरह से शरीर में नस दिखता है वैसे ही इस मूर्ति पर हनुमान जी के शरीर में नस दिखाई देते हैं। हनुमान जी के दाहिने पैर में तीर का निशान भी बनाया गया है जो देखने में काफी शानदार लगता है। हनुमान जी के पैरों पर यह निशान भरत जी द्वारा ब्रह्मावेश हनुमान जी पर चलाए गए तीर के घाव को प्रदर्शित करता है।
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