Harshad Mata Temple: आभानेरी स्थित हर्षद माता का मंदिर बेहद पुराना और प्राचीन है। स्थानीय लोगों की मानें तो 52 साल पहले इस मंदिर में लगी नीलन की मूर्ती चोरी हो गई थी। इस मंदिर की खास बात यह है कि इस मंदिर को बनाते समय किसी प्रकार के चूने का इस्तेमाल नहीं हुआ है और ना ही इसके निर्माण में सीमेंट का यूज किया गया है। चौंकने वाली बात यह है कि बीना चूने या सीमेंट के यह मंदिर आज भी ऐसा ही बना हुआ है।
हर साल हजारों की संख्या में लोग यहां माता के दर्शन के लिए आते हैं। खासतौर पर नवरात्री के समय श्रध्दालुओं की भीड़ रहती है। ऐसा मांनते है कि माता से जो भी मांगो वह पूरी होती है और माता अपने भक्तों और उनके परिवार की हमेशा रक्षा करती हैं।
क्या है मंदिर का इतिहास
इस मंदिर का निर्माण 8वीं सदी में चौहान वंश के राजा चांद द्वारा हुआ था। इस मंदिर के निर्माण के चलते आज भी यह शहर इस मंदिर की सुंदरता के लिए जाना जाता है। नवरात्री के मौके पर मंदिर में मौजूद माता की पूजा-अर्चना होती है और अष्टमी के दिन मेले का आयोजन किया जाता है। मंदिर के पुजारी का कहना है कि यहां सालों से हर्षद माता की नीलम की मूर्ती हुआ करती थी और अगर गांव पर कोई भी विपदा आने वाली होती थी तो माता पहले ही सपने में आकर विपदा का संदेश देती थी।
1968 में हो गई थी चोरी
पुजारी ने बताया कि साल 1968 में कुछ चोर हर्षद माता की नीलम की मूर्ती को ले गए थे और जब सुबह लोगों ने मंदिर में देखा तो वहां खून के निशान दिखाई दिए थे। जिसके बाद मंदिर में फिर से एक और माता की नीलम की मूर्ती की स्थापना की गई थी। मूर्ती पर पत्थर ऐसे लगे थे, जैसे मानो किसी ने उसे चिपकाया हो। इस मंदिर की खास बात यह कि इसे बनाने में ना तो सीमेंट का और ना ही चूने का इस्तेमाल हुआ है।
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