Sun Temple Jhalrapatan: राजस्थान के झालावाड़ जिले में स्थित प्राचीन सूर्य मंदिर में सालों से एक ऐसी परंपरा चलती आ रही है, जिसे सुनकर आप चौंक जाएंगे। दरअसल इस मंदिर में कई वर्षों से विजयादशमी के दौरान 110 फीट उंचे शिखर पर चढ़र ध्वज फहराया जाता है। इससे पहले मंदिर में सभी विधि-विधान से पूजन किया जाता है। इसके बाद मंदिर के सुरक्षा संसाधनों के द्वारा मंदिर के 110 फीट ऊंचे शिखर पर चढ़कर पताका लहराई जाती है।
वर्षों से चलती आ रही है परंपरा
झालरापाटन का यह सूर्य मंदिर करीब 11वीं सदी में बनाया गया था। इस मंदिर की परंपरा है कि हर साल विजयादशमी के अवसर पर मंदिर की पुरानी पताका को हटाकर नई ध्वज स्थापित की जाती है। आपकी जानकारी के बता दें कि इस मंदिर के शिखर की ऊंचाई 110 फीट ऊंची है। ध्वज बदलने से पहले मंदिर के पुजारी विधि-विधान से मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं और इसके बाद ही झालरापाटन के निवासी मंदिर के शिखर पर चढ़कर ध्वज फहराते हैं।
बड़ी संख्या में पहुंचते हैं भक्त
इस दृश्य को देखने के लिए हर साल बड़ी संख्या में भक्त झालरापाटन पहुंचते हैं। इससे पहले पूरे इलाके में शोभा यात्रा निकाली जाती है। जिसमें सबसे पहले लोग ढोल-नगाड़े के साथ संकट मोचन हुनमान मंदिर से इस यात्रा की शुरुआत करते हैं। इसके बाद मंदिर की समिति के लोग जयकारा लगाते हुए मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं। इसके बाद मंदिर में सभी सदस्य बालाजी की पूजा करते हैं। साथ ही गणपति जी की पूजा करके ढोल-नगाड़े और आतिशबाजी के साथ मंदिर के 65 फीट ऊंचे शिखर पर पहुंचकर 45 फीट ऊंचे ध्वज दंड पर 19 फीट लंबा पताका चढ़ाते और साथ ही ध्वज दंड पर लाइट लगाते हैं।