Jahaj Mandir Mandla: आपने कई प्रकार के मंदिर देखे होंगे, जिनमें से कुछ ऊंची पहाड़ी पर बनाएं गए हैं, तो कई समुद्र के बीच में बनाए गए हैं। क्या आपने कभी जहाज मंदिर के बारे में सुना है। जी हां, आज हम बात कर रहे हैं राजस्थान के जालोर जिले से लगभग 18 किलोमीटर दूर मांडला के जहाज मंदिर की, जो जैन धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। खास बात यह है कि यह जैन मंदिर भारत का पहला और एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसे जहाज की आकृति में बनाया गया है।
मंदिर की खासियत
इस जहाज को पूरी तरह से संगमरमर का बनाया गया है। इसमें कांच, हीरा-पन्ना, कई प्रकार के मोती और सोने का इस्तेमाल किया गया है। इसकी कलाकारी देखने दुनियाभर से लाखों सैलानी हर साल यहां आते हैं।
गुरु-शिष्य का साक्षी है यह मंदिर
माना जाता है कि इस मंदिर के निर्माण के पीछे गुरु-शिष्य के रिश्ते को दर्शाने के लिए किया गया था। आज इस मंदिर की देखरेख जिन कांति सागर सूरीश्वर महाराज स्मारक ट्रस्ट के द्वारा की जा रही है। साल 1985 में जिन कांति सूरी सागर का निधन हो गया था जिसके बाद उनके शिष्य मणिप्रभ सागर मसा उनकी याद में एक स्मारक बनवाना चाहते थे।
शिष्य ने जब मुंबई के चातुर्मास के दौरान तारण-तीरण जहाज के बारे में सुना तब उन्हें इस मंदिर के निर्माण का विचार आया। उन्होंने सोचा जैसे एक जहाज सभी को पानी से बाहर निकाल कर समुद्र पार कराता है, वैसे ही एक गुरु हमेशा अपने शिष्य को सही मार्ग दिखाकर उसके जीवन को पार लगाता है। साल 1999 में इस मंदिर का निर्माण पूरा हुआ था।
अलग-अलग जगह से आए थे कारीगर
जहाज मंदिर की नक्काशी करने के लिए सिरोही के सोमपुर से कारीगर बुलाए गए थे, तो वहीं कांच का काम करने के लिए किशनगढ़ से कारीगरों को आमंत्रित किया गया था। नक्शे के लिए इंजीनियर मुंबई से आए थे। इसके बाद कारीगरों द्वारा मंदिर पर रंगीन कांच से और असली सोने से मंदिर का निर्माण कराया गया था।