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Jamwai Mata Jaipur: जयपुर का ये मंदिर जमवारामगढ़ में स्थित है, जिसकी मान्यता है कि ये मंदिर की किसी युद्ध के कारण बनाया गया था। इसके पीछे छूपा है एक ऐसा इतिहास जो इसकी स्थापना के समय होने वाले युद्ध को बताता है।

Jamwai Mata: राजस्थान में जमवाय माता का ये मंदिर जयपुर से 30 किलोमीटर दूर जमवारामगढ़ में स्थित हैं, जो जमवारामगढ़ बांध की पहाड़ियों की तलहटी में बनाया गया था। जमवाय माता के इस मंदिर के आस- पास हरयाली ही हरयाली है, जो इसकी सुंदरता को ओर ज्यादा बढ़ा देती है। इसकी स्थापना को लेकर से भी कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना एक युद्ध के होने के बाद की गई थी। इस मंदिर का इतिहास बहुत रोचक और अनोखा है, जो हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। 

जमवाय मंदिर के गर्भगृह में मंदिर 

जयपुर के जमवारामगढ़ के इस मंदिर के प्रतिमा मंदिर की गर्भगृह में रखी गई थी, जिसमें दाई ओर गाय के बछड़े और बायीं ओर माता बुढवाय की मूर्ति स्थापित की गई थी। जमवाय मंदिर के परिसर में भगवान शंकर का शिवालय और एक भैरव बाबा का मंदिर भी बनवाया गया था। 

मंदिर की परंपरा

जमवाया माता के मंदिर के बारे में कहा जाता है कि उस समय नवजात राजकुमारों को रानी निवास के बाहर तब तक नहीं निकाला जाता था, जब तक कि जमवाय माता के दर्शन नहीं लगवा लिए जाते थे. साथ ही राज्यारोहण व बच्चों के मुंडन संस्कारों के लिए कछवाहा वंश के लोग इसी मंदिर में दूर-दूर से आते हैं।

युद्ध से मंदिर की स्थापना

इस मंदिर के स्थानीय लोगों की मान्यता है कि यहां 1100 ईसवी में महाराजा दुल्हेरायजी नरवर ग्वालियर से बारात लेकर जा रहे थे, तभी यहां के मीणाओं ने उनका रास्ता रोका और जाने नहीं दिया। जिसपर राजा ने कहा कि शादी से लौटते ही यहां युद्ध होगा, उसके बाद युद्ध होने पर पूरी बारात घायल हो गई उसके बाद दूल्हन ने सती होने का फैसला किया। फिर घायल अवस्था में पड़े राजा को बुड़वाय माता के कहने पर मंदिर बनवाया, जो आज जमवाय माता के नाम से जाना जाता है। 

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