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Jeenmata Mandir: राजस्थान के सीकर जिले से लगभग तीस किलोमीटर दूर जीणमाता का मंदिर है। इस मंदिर का इतिहास मे जिक्र है कि ये एक ऐसा मंदिर है, जिसके सामने मुगल बादशाह औरंगजेब ने भी अपना सिर झुकाया था और अखंड दीप जलाया था। 

Jeenmata Mandir: एक समय था जब मुगल पूरे भारत में हिंदू मंदिरों को तोड़ रहे थे। वो देशभर के हजारों मंदिरों को तोड़ चुके थे। इनमें औरंगजेब हिंदू मंदिरों को तोड़ने के लिए कुख्यात है। उसने हजारों मंदिरों को धराशायी कर दिया था। लेकिन राजस्थान के सीकर जिले में स्थित जीणमाता मंदिर मे औरंगजेब ने भी अपना सिर झुक लिया था और अखंड ज्योति जलाना शुरू किया था। 

जीणमाता के सामने नतमस्तक हुआ औरंगजेब

दरअसल राजस्थान के सीकर जिले में जीणमाता का मंदिर है जो काफी मशहूर है। कहा जाता है कि जब औरंगजेब देश के कोने- कोने में मंदिरों को ध्वस्त कर रहा था तब जीणमाता मंदिर मे ही चमत्कार के सामने वो भी नतमस्तक हो गया था। इस चमत्कार से वो इतना प्रभावित हुआ कि उसने मंदिर में अखंड ज्योति शुरू करके, उसका तेल दिल्ली दरबार से भेजना शुरू किया। आज भी जीणमाता के मंदिर में वो अखंड ज्योति जल रही है और आज भी इस ज्योति को जलाने के लिए दिल्ली से ही तेल आता है। 

भंवरों की सेना ने किया आक्रमण

बता दें कि जीणमाता मंदिर के इतिहास में मुगल बादशाह औरंगजेब के मंदिर पर आक्रमण करने और माता के सामने नतमस्तक होने का जिक्र है। कहा जाता है कि जब औरंगजेब की सेना उत्तर भारत के मंदिरों पर आक्रमण कर राजस्थान के सीकर जिले के जीणमाता मंदिर में आक्रमण करने पहुंची तो मंदिर के पुजारी और गांव वालों ने माता रानी से मंदिर और गांव की रक्षा करने की गुहार लगाई। इसके बाद वहां पर करोङों की संख्या में भंवरे आ गए। इससे मुगल सेना घबरा गयी और पीछे हट गयी। सारे सैनिक वहां से भाग गए। 

अखण्ड दीप जलाने के लिए दिल्ली से आता है तेल

जब औरंगजेब को इस बात का पता चला तो वो माता के इस चमत्कार से काफी प्रभावित हुआ। उसने जीणमाता के सामने अपनी गलती मानते हुए माता के मंदिर में अखंड ज्योति जलाने का संकल्प लिया। इस संकल्प को पूरा करने के लिए उसने दिल्ली दरबार से तेल भेजना शुरू किया। मंदिर मे अब भी ये अखंड ज्योति जलती है जिसका तेल दिल्ली से आता है। 

हर साल मेले का होता है आयोजन

जीणमाता का मंदिर खाटू श्याम जी के मंदिर से लगभग 26 किलोमीटर दूर और सीकर जिले से लगभग 30 किलोमीटर दूर है। इस मंदिर में चैत्र व शारदीय नवरात्रि के समय मेले का आयोजन होता है, जिसमें देशभर से श्रद्धालु जीणमाता के दर्शन करने और मेले का लुत्फ उठाने आते हैं

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