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Rajasthan Ashram: राजस्थान के नागौर जिले के करुणामूर्ति आश्रम में पैसे लेना या देना वर्जित है। इस आश्रम में हर समय राम नाम रहता है। संतों द्वारा हर काम के पिछे राम का नाम लिया जाता है।

Rajasthan Ashram: राजस्थान के नागौर जिले के कुचेरा के भादवासी गांव में बने करुणामूर्ति आश्रम में रूपए का लेन-देन पूरी तरह से वर्जित है। यहां केवल राम नाम की करेंसी चलती है। इस आश्रम को रामस्नेही सम्प्रदाय के संत गुलाब दास महाराज के शिष्य मूर्तिराम महाराज की प्रेरणा से निर्जन क्षेत्र में बनाया गया था। यहां की खास बात यह है कि इस आश्रम में रह रहे संतों को पैसे, रूपए का ना तो मोह है और ना ही किसी चीज़ की इच्छा। 

यहां के संतों द्वारा एक जोड़ी से अधिक वस्त्र भेंट में नहीं लिए जाते है। संतों के आवागमन के लिए यहां कोई वाहन भी नहीं है। आश्रम में हर समय भोजन की व्यवस्था रहती है, लेकिन इसके लिए भी केवल अनाज, आटा, सब्जी, तेल, मसाला आदि भेंट लिया जाता है। नकद राशि देना वर्जित है। 

रामनाम ही भेंट और आशीर्वाद
इस आश्रम की शुरूआत मूर्तिराम महाराज ने द्वारा एक छोटी सी झोंपड़ी में की थी। उस समय से ही यहां पर पैसों की लेनदेन पर रोक है। यहां आने वाले श्रद्धालु भी सिर्फ रामनाम का ही संकल्प लेकर गुरू को रामनाम जमपने को वजन देते है। साथ ही गुरूजन भी भक्तों को रामरक्षा का आशीर्वाद प्रदान करते है। 

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हर काम के पीछे राम नाम
इस आश्रम में हर समय राम नाम रहता है। संतों द्वारा हर काम के पीछे राम का नाम लिया जाता है। जैसे उठने के साथ रामजीराम से अभिवादन होता है। उसके बाद स्नानराम, आरतीराम, कथाराम आदि। साथ ही हर चीज के पीछे भी राम नाम जोड़ा जाता है। जैसे जलराम, रोटीराम, छाछ राम, खीचराम, प्रसादराम। 

नकद लेना है वर्जित 
करुणामूर्ति धाम के मुख्य अधिष्ठाता हेतमराम महाराज ने बताया कि आश्रम में पैसों की लेनदेन लेना वर्जित है। साथ ही दाता गुलाबदास महाराज, मूर्तिराम महाराज के उपदेशों की पालना करते हुए पैसों का लेना वर्जित है।  

पैसों का नहीं है मोह 
आश्रम के महाराज त्यागी संत नेमीराम ने कहा कि आश्रम में राम नाम का ही महत्व है। यहां के संतों का भौतिक सुख-सुविधाओं से कोई मोह नहीं है।

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