rajasthanone Logo
Kishangarh famous bani thani painting: यह लेख भगवान कृष्ण के परम भक्त, राजा सावंत सिंह (शासनकाल 1748-57) के संरक्षण में किशनगढ़ चित्रकला शैली के कलात्मक शिखर की ओर एक नई दृष्टि प्रस्तुत करता है।

Kishangarh famous bani thani painting: किशनगढ़ जिला अपनी चित्रकारी शैली के लिए न केवल देश में, बल्कि विश्व स्तर पर प्रसिद्ध है। किशनगढ़ शैली में बणी-ठणी की कृति को सर्वोत्तम माना जाता है, जिसमें एक नारी के सौंदर्य को बखूबी दर्शाया गया है। हालांकि, बणी-ठणी चित्र के पीछे की कहानी के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। 

इसे राजस्थान की मोनालिसा कहा जाता है, क्योंकि यह सिर्फ एक चित्र नहीं है, बल्कि एक संपूर्ण चरित्र है। यह संत नागरीदास और बणी-ठणी के बीच ईश्वरीय प्रेम की उस कहानी को दर्शाता है, जो इतिहास में अमर हो गई है। बणी-ठणी कृति किशनगढ़ शैली का एक अद्वितीय उदाहरण है। एक समय में किशनगढ़ एक पुरानी और विशाल रियासत थी, जिसमें लगभग पौने तीन सौ गांव शामिल थे। 

बणी-ठणी चित्र राजस्थान की किशनगढ़ शैली का एक विशेष और महत्वपूर्ण उदाहरण है, जो न केवल कला के क्षेत्र में बल्कि सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी महत्वपूर्ण है। इस चित्र में एक नारी के सौंदर्य को अत्यंत कलात्मक रूप से प्रदर्शित किया गया है।

चित्र की विशेषताएं:

1.    सौंदर्य और भावनाएं: बणी-ठणी की कृति में नारी का सौंदर्य उसकी आंखों, चेहरे के भाव, और शरीर की मुद्रा के माध्यम से दिखाया गया है। यह चित्र नारी के शील और सुंदरता को एक आदर्श रूप में प्रस्तुत करता है।

2.    रंगों का प्रयोग: किशनगढ़ शैली में रंगों का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण होता है। बणी-ठणी में जीवंत रंगों का उपयोग किया गया है, जो चित्र को आकर्षक बनाते हैं और नारी के सौंदर्य को और उभारते हैं।

3.    संस्कृति और परंपरा: यह चित्र राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता है। इसमें लोककला, परिधान, और आभूषणों का अद्भुत संयोजन देखने को मिलता है, जो उस समय की सांस्कृतिक परंपराओं को प्रतिबिंबित करता है।

4.    कहानी: बणी-ठणी का चित्र संत नागरीदास और बणी-ठणी के बीच के ईश्वरीय प्रेम की कहानी को बताता है। यह प्रेम कथा राजस्थान की लोककथाओं में बहुत प्रचलित है और इसे एक आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी देखा जाता है।

5.    कला का प्रभाव: बणी-ठणी की कृति ने न केवल किशनगढ़ शैली को पहचान दिलाई, बल्कि इसे भारतीय चित्रकला के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान भी दिलाया। यह चित्र अन्य कलाकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना और राजस्थान की कला को विश्व स्तर पर फैलाया।

भक्ती रस का उदाहरण है यह चित्र कला 

कुमावत बताते हैं कि बणी-ठणी चित्र कृति के बारे में हमेशा असमंजस की स्थिति बनी रहती है। इस चित्र में हम राधा के स्वरूप को देखते हैं। भारत सरकार ने इस बणी-ठणी चित्र का एक डाक टिकट भी जारी किया है, जिसमें राधा का नाम लिखा गया है। कुमावत के अनुसार, राजा सांवत सिंह पर भगवान कृष्ण की भक्ति का गहरा प्रभाव था।

उन्होंने राजपाट छोड़कर वृंदावन की ओर प्रस्थान किया, जहां वे कृष्ण की भक्ति में लीन रहते थे और नागरीदास के नाम से भी जाने जाते थे। राधा का नाम हमेशा कृष्ण के साथ जुड़ा रहता है। किशनगढ़ के चित्रकारों ने राधा को एक नायिका के रूप में चित्रित किया है, जो कृष्ण के आध्यात्मिक प्रेम का प्रतीक है। यह अद्वितीय चित्रण किशनगढ़ की कला में ही देखने को मिलता है, जिसमें आध्यात्मिक प्रेम को खूबसूरती से प्रदर्शित किया गया है।

5379487