rajasthanone Logo
Establishment of Gurjar Society: गुर्जर समाज के कुल देवता भगवान देवनारायण का जन्म राजस्थान के भिलवाड़ा जिले में हुआ था। उन्हें गौ वंश के रक्षक के रूप में पूजा जाता है।

Establishment of Gurjar Society: गुर्जर समाज भगवान देवनारायण को अपने कुल देवता के रूप में कई सालों से पूजता आया है। राजस्थान के भिलावाड़ा जिले को भगवान देवनारायण का जन्म स्थल माना जाता है। देवनारायण गौ वंश के रक्षक थे, कहा जाता है कि वे सुबह उठकर सबसे पहले गौ माता का दर्शन किया करते थे। 

मालासेरी गांव में हुआ था भगवान देवनारायण का जन्म

भगवान देवनारायण को भगवान विष्णु का ही अवतार माना जाता है। आज भी गुर्जर समाज के द्वारा उनके कुल देवता भगवान देवनारायण की पूजा अर्चना की जाती है। उनका जन्म 1243 ई. में भीलवाड़ा जिले के मालासेरी गांव में राजा सवाई भोज के घर में हुआ था। उन्होंने अपना जीवन अपने ननिहाल देवास में बिताया, उसके बाद उन्होंने घुड़सवारी और हथियार चलाना सीखा। उन्होंने शिप्रा नदी के किनारे बैठ कर भगवान विष्णु की कठौर तपस्या की। साथ ही युवावस्था में अपने गुरूओं से तंत्र शिक्षा प्राप्त की और एक शक्तिशाली योद्धा बने। 

रानी पीपलदे से हुआ विवाह

अपने जीवनकाल में उन्होंने कई चमत्कार दिखाए। पौराणिक कथा के अनुसार कई समय से बीमार राजा जयसिंह की बेटी पीपलद को देवनारायण ने अपनी शक्तियों से उसे ठीक कर दिया था। इसके बाद पीपलद का विवाह देवनारायण से कर दिया गया था। भगवान विष्णु की आराधना से मिली शक्तियों से देवनारायण ने सूखी नदी में पानी लाना, सारंग सेठ को पुनर्जीवित करना और छोंछु भाट को जीवित करने जैसे कई चमत्कार दिखाए। इसी कारण से लोग उन्हें भगवान विष्णु के अवतार के रूप में पूजने लगे। 

सबसे पहले करते थे गाय का दर्शन

भगवान नदेवनारायण को गै वंश का रक्षक कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि वे सुबह उठकर सबसे पहले गाय के दर्शन किया करते थे। साथ ही कुल 98000 गायों का पालन किया करते थे। वे उस समय के शासक और महान योद्धा माने जाते थे। उन्होंने अपने साहस से अत्याचारी विदेशी शासकों से लड़कर अपने राज्य और देश की रक्षा की थी। आठवीं शताब्दी के दौरान उन्होंने अजमेर में राज किया था।

ये भी पढ़ें:- Lodurva Shiv Temple: राजस्थान के इस शिव मंदिर में सदियों से क्यों नहीं होती है पूजा? जानें इसके पीछे का रहस्य

5379487